उत्तराखंड। अल्मोडा में जानलेवा मलेरिया से निपटने के लिए पहले ही स्वास्थ महकमा सतर्क हो चुका है। इस बार स्वास्थ्य महकमे ने समय रहते बीमारी का पता लगाने के लिए नई पहल शुरु की है। जिससे गांव में रहने वाले मरीज को मलेरिया होने या नहीं होने की पुष्टि गांव में ही की जाएगी। इस पहल में आशा कार्यकिर्त्रयों की भूमिका अहम मानी जाएगी।
दरअसल हाल में मलेरिया का प्रकोप कम ही है, लेकिन गर्मी व बरसात में ऐसी संभावनाएं प्रबल रहती हैं। ऐसे में दूर के गांवों में रहने वाले लोगों में मलेरिया होने की पुष्टि काफी देर समय में हो पाती है, क्योंकि गांव के मरीज जांच के लिए देर से अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसे में विभाग ने नई तरकीब निकाली है। इस तरकीब में आशाओं की भूमिका को अहम माना जाएगा। फिलहाल नये प्रयोग के लिए जिले के तीन ब्लाकों ताड़ीखेत, द्वाराहाट व भिकियासैंण को चुना है। इन ब्लाकों की लगभग डेढ़ सौ आशा कार्यकर्ताओं को दो महिने पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्हें स्लाइड में ब्लड सैंपल लेने और उसे सुरक्षित लैब तक पहुंचाने की ट्रेनिंग भी दी गई है। आशाएं अपने ग्रामीण क्षेत्र में बुखार से पीड़ित व्यक्ति का ब्लड सैंपल स्लाइड में लेकर ब्लाक के राजकीय अस्पताल में लाएंगी, वहां लैब टेक्निशियन जांच कर मलेरिया होने या नहीं होने की पुष्टि करेगा। इससे समय पर गांव में बीमार व्यक्ति को वहीं मलेरिया का पता चल जाएगा और समय पर उसका उपचार शुरु कर जा सकेगा।
अल्मोड़ा: स्लाइड के माध्यम से मरीज का ब्लड सैंपल लेकर उसे ब्लाक स्तर के अस्पताल तक पहुंचाने का काम आशा कार्यकर्ताओं से मुफ्त नहीं कराया जाएगा, बल्कि उन्हें पारिश्रमिक मिलेगा। इसके लिए आशा को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 15 रुपये प्रति सैंपल दिए जाएंगे।
नई पहल का यह पहला चरण है, इसके लिए पहले जिले के दूरस्थ तीन ब्लाकों को चुना गया है। जिले में मलेरिया का प्रकोप नहीं है, फिर भी ऐहतियातन बरसात से पहले ही चौकसी बरती गई है। नई पहल में सफलता मिलने के बाद इसे अन्य ब्लाकों में भी लागू किया जाएगा।
स्लाइड के माध्यम से मरीज का ब्लड सैंपल लेकर उसे ब्लाक स्तर के अस्पताल तक पहुंचाने का काम आशा कार्यकर्ताओं से मुफ्त में नहीं कराया जाएगा, उसके लिए उन्हें पारिश्रमिक दिया जाएगा।