लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू प्रशासन की मनमानी एक बार फिर सामने आयी है। आरोप है कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए रखे गये स्वास्थ्य कर्मचारियों को समय पूरा होने से पहले ही बिना किसी पूर्व सूचना के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
इससे नाराज करीब सौ ठेका कर्मचारियों ने बुधवार को कुलपति कार्यालय को घेर लिया। स्वास्थ्य कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुये केजीएमयू प्रशासन ने उन्हें समझाने का प्रयास किया है।
दरअसल, प्रदेश में जब कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी उस दौरान मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुये केजीएमयू प्रशासन ने मानव संसाधन की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को नये स्वास्थ्य कर्मचारी रखने का आदेश सुना दिया था। इसके बाद इन कंपनियों ने करीब 200 स्वास्थ्य कर्मचारियों को ठेके पर रख लिया। ठेके पर रखे गये स्वास्थ्य कर्मचारियों में नर्स, वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मी आदि शामिल थे। इन स्वास्थ्य कर्मचारियों को तीन महीने के लिए रखा गया था।
आरोप है कि तीन महीने का समय बीतने से पहले ही इन कर्मचारियों को हटा दिया गया। जैसे ही नौकरी जाने की जानकारी कोविड मरीजों के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को हुई, उनके सब्र का बांध टूट गया। आनन-फानन में ठेके पर तैनात इन स्वास्थ्यकर्मियों ने कुलपति कार्यालय को घेर लिया और प्रदर्शन करने लगे।
संक्रमितों के बढ़ने पर रखे गये थे ठेका कर्मचारी
बताया जा रहा है कि जब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही थी और मरीजों के लिए केजीएमयू प्रशासन को बेड बढ़ाने थे, उसी दौरान इन कर्मचारियों को ठेके पर रखा गया था। मगर, जैसे ही कोविड मरीजों की संख्या कम हुई, केजीएमयू प्रशासन ने कर्मचारियों को हटाने का फरमान सुना दिया।
वहीं, केजीएमयू प्रशासन ने इस तरह के आरोपों को गलत बताया है। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक इन कर्मचारियों को तीन महीने के लिए ठेके पर रखा गया था, जिसकी मियाद 31 मई को पूरी हो रही है। उसके बाद इनको हटाया जायेगा।