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क्यों नहीं दिखाई जा रहे ओमिक्रॉन के सही आंकड़े ?, लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या

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देश में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की तीसरी लहर बेलगाम होती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि महानगरों में 90 से 95 फीसदी मामले ओमिक्रॉन के हैं, लेकिन आंकड़ों में ये दिखाई नहीं दे रहा है।

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तीसरी लहर अब हुई बेकाबू

देश में कोरोना की तीसरी लहर अब बेकाबू होती जा रही है। बीते 24 घंटे में करीब 2 लाख नए मरीज सामने आए हैं।  नए मामलों में तेजी आने की वजह कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) है। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में जितने नए मामले आ रहे हैं, उनमें 90 से 95 फीसदी मामले ओमिक्रॉन के हैं।

असल सवाल है क्या ?

जब भी स्वास्थ्य मंत्रालय का ओमिक्रॉन पर बुलेटिन आता है तो उसमें नए वैरिएंट के नए मामले 500 से भी कम होते हैं।  ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर देश को कैसे पता चलेगा कि ओमिक्रॉन कितना फैल रहा है ?

डेल्टा को रिप्लेस कर रहा ओमिक्रॉन

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने दो दिन पहले बताया था कि देश के महानगरों में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के पीछे ओमिक्रॉन है। एक्सपर्ट मानते हैं कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में कोरोना के नए मामलों में 90 से 95 फीसदी ओमिक्रॉन के केस हैं। ओमिक्रॉन अब तेजी से डेल्टा को रिप्लेस कर रहा है। ऐसी आशंका है कि ओमिक्रॉन की वजह से देश में नए मामले तेजी से बढ़ते रहेंगे।

ओमिक्रॉन के आंकड़े क्यों नहीं दिख रहे

जब स्वास्थ्य मंत्रालय खुद मान रहा है कि नए मामलों में 95 फीसदी तक ओमिक्रॉन के केस हैं तो फिर ये आंकड़ों में क्यों नहीं दिख रहा। बुधवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आंकड़े दिए हैं। उसके मुताबिक बीते 24 घंटे में कोरोना के 1.94 लाख नए मामले सामने आए हैं। हालांकि, इसी दौरान ओमिक्रॉन के 407 नए मामले सामने आए हैं। यानी, बीते 24 घंटे में जितने नए कोरोना के मामले आए हैं, उनमें से मात्र 0.2% ही ओमिक्रॉन के केस हैं।

टेस्टिंग में फंस रहा पेंच !

कोरोना की टेस्टिंग में भी अब नए-नए नियम लागू कर दिए गए हैं। कोरोना के मामलों में उछाल आते ही ICMR ने कोविड टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, अब हर किसी को कोरोना की जांच कराने की जरूरत नहीं है। संक्रमित के संपर्क में भी आए सिर्फ उन लोगों को ही टेस्ट करवाने की जरूरत है जो बुजुर्ग हैं या किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

हमारा रैपिड एंटीजन टेस्ट पर ही फोकस

इसके अलावा ज्यादातर राज्य अब RTPCR की बजाय रैपिड एंटीजन टेस्ट पर फोकस कर रहे हैं। दिल्ली का ही उदाहरण लें तो बीते 24 घंटे में राजधानी में करीब 83 हजार टेस्ट हुए। इनमें से भी 26% से ज्यादा एंटीजन टेस्ट हैं। यानी हर 4 में से 1 का एंटीजन टेस्ट हो रहा है। ओमिक्रॉन को लेकर माना जा रहा है कि इसके लक्षण हल्के हैं।

देश में 40 से भी कम लैब

इन सबके अलावा ओमिक्रॉन की पुष्टि जीनोम सीक्वेंसिंग से ही हो पा रही है।  लेकिन देश में इस वक्त 40 से भी कम लैब हैं जहां जीनोम टेस्टिंग होती है।  ऐसे में राज्य सरकारें जब पॉजिटिव मरीजों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेज रहे हैं तो उनकी रिपोर्ट आने में हफ्ते या 10 दिन से भी ज्यादा वक्त लग रहा है। इतने दिन में तो मरीज ठीक भी हो जाता है।

डेल्टा को रिप्लेस कर रहा है ओमिक्रॉन: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से भी ये कहा जा चुका है कि अब ओमिक्रॉन डेल्टा को रिप्लेस कर रहा है। WHO की महामारी वैज्ञानिक मारिया वान केरखोव ने मंगलवार को कहा कि अब दुनियाभर के देशों में ओमिक्रॉन डेल्टा की जगह ले रहा है। WHO ने बताया कि 3 से 9 जनवरी के बीच दुनियाभर में कोरोना के 1.5 करोड़ नए मामले सामने आए हैं।

रिपोर्ट आने में लग रहे 40-45 दिन

दरअसल, कोई व्यक्ति ओमिक्रॉन से संक्रमित है या नहीं, इसका पता जीनोम सीक्वेंसिंग से चलता है। जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आने में हफ्ते लग जाते हैं।   कई बार तो महीनों भी हो जाते हैं। हाल ही में झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट देने की अपील की थी।

सरकार भी ये बात मान चुकी है कि जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट में देरी से राज्य सरकारों को परेशानी हो रही है। देश में अभी 40 से भी कम लैब हैं जहां जीनोम टेस्टिंग होती है। केंद्र सरकार ने हाल ही में Omisure नाम की टेस्टिंग किट को मंजूरी दी थी। इस किट से 4 घंटे में ही ओमिक्रॉन का पता लगाया जा सकता है।   ये किट TataMD ने बनाई थी।

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