जैसे ही टीवी डीलक्स निरोध की एड आती थी, वैसे ही परिवार के सदस्य के चेहरों पर शर्म सी आ जाती है। वहीं, टीवी का रिमोट ढूंढने लगते हैं। वैसे तो शायाद हम चुप चाप बिना सवाल किये पूरे ऐड देख भी लेते. लेकिन बड़े लोगों को कसमसाते हुए देखकर और क्यूरियस हो जाते। असल में गर्भ निरोध यानी कॉन्ट्रासेप्शन की बात हो रही है।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में 10 में से एक से भी कम पुरुष कॉन्डम का उपयोग करते हैं। यानी कॉन्डम का इस्तेमाल करने वाले पुरुषों की संख्या 10 फीसदी से भी कम है। सिर्फ शहरों की बात भी करें तो भी संख्या कोई बहुत अच्छी नहीं है। शहरों में लगभग 13 फीसदी पुरुष कॉन्डम का इस्तेमाल करते हैं।
वहीं, 10 में से लगभग 4 महिलाएं प्रेगनेंसी से बचने के लिए नसबंदी का रास्ता अपनाती हैं। यानी लगभग 38 फीसदी महिलाएं नसबंदी करवाती हैं। वहीं, सर्वे में 82 फीसदी पुरुषों ने ये भी स्वीकार किया है कि उन्हें कॉन्डम इस्तेमाल करने के हेल्थ बेनेफिट्स के बारे में मालूम है।
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अक्सर महिलाओं को मैंने ये कहते पाया है कि उनके पति कॉन्डम यूज नहीं करते क्योंकि उन्हें इसके इस्तेमाल से अजीब सा लगता है या फिर उन्हें संतुष्ट महसूस नहीं होता। या फिर उन्हें ये लगता है कि अगर प्रेगनेंसी को होने से रोकना है, तो ये उनका काम नहीं है। चूंकि प्रेगनेंसी महिला को होती है, तो ये महिला का ही काम है कि वो इसे रोकने के उपाय लगाए।
एक्सपर्ट ने बताया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे ज़्यादा हाई टोटल फर्टिलिटी रेट वाले ज़िले हैं। यूपी में कुल 11 जिले इसमें आईडेंटिफाई किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह समस्या है, वहीं, महिलाएं पुरूषों के मुकाबले में गर्भ निरोध पर ज्यादा जोर देती है।
साथ में एक्सपर्ट ने कहा कि ग्राउंड पर हकीकत देखी तो सामने आया कि पुरुष नसबंदी से संबंधित कई धारणाएं बना रखी है, पुरुषों का कहना है कि नसबंदी कराने से कहीं हमारा पौरूष न चला जाए और पौरूष चले जाने पर वह स्त्री के सामने छोटा महसूस करेंगे।
एक्सपर्ट ने कहा कि नसबंदी व गर्भ निरोधक के उपायों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया है। इसका मुख्य कारक यही है कि हम लोगों को बताते हैं कि नसबंदी के बाद भी आप अपना व्यावहारिक और वैवाहिक जीवन वैसे ही व्यतीत कर सकते हैं। जैसे आप करते हैं।
वहीं, अब धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रही है। लोग इन गर्भ निरोधक उपायों के प्रति जागरूक हो रहे हैं।