एक स्टड़ी के मुताबिक जो महिलायें गर्भावस्था के दौरान कोविड संक्रमित होती हैं, उनमें प्री-एक्लेमप्सिया होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। जिससे की मां और बच्चा दोनों की मौत हो सकती है। बता दें कि प्री-एक्लेमप्सिया गर्भावस्था के 20वें हफ्ते के बाद रक्तचाप में अचानक वृद्धि है।
एक अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान सॉर्स कोव 2 संक्रमण वाली महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के बिना प्रीक्लेम्पसिया होने की संभावना 62 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान सॉर्स कोव 2 संक्रमण गंभीर विशेषताओं, एक्लम्पसिया और एचईएलएलपी सिंड्रोम के साथ प्री-एक्लेमप्सिया की परेशानी भी देखने को मिल सकती है।
एचईएलएलपी सिंड्रोम गंभीर प्री-एक्लेमप्सिया का एक रूप है, जिसमें हेमोलिसिस (लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना), लिवर ,एंजाइम और कम प्लेटलेट काउंट शामिल हैं।
हाई ब्लड प्रैशर के अलावा प्री-एक्लेमप्सिया में सिरदर्द, चेहरे और हाथों में सूजन, धुंधला दिखाई देना,, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ देखी जा सकती है।
शोधकतार्ओं ने कहा कि प्री-एक्लेमप्सिया का जल्द पता लगाने के लिए संक्रमित गर्भवती महिलाओं का ध्यान रखना चाहिये ताकि वो इस परेशानी का शिकार ना हों। समय रहते टेस्ट करवाने चाहिये ।
गर्भावस्था के दौरान एमआरएनए कोविड -19 वैक्सीन लेनी वाली महिलाएं अपने बच्चों को उच्च स्तर के एंटीबॉडी पास करती हैं।
बता दें कि 36 नवजात शिशुओं, जिनकी मां को गर्भावस्था के दौरान फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न कोविड -19 वैक्सीन दी गयी थी, उन्होंने 100 प्रतिशत शिशुओं में जन्म के समय एंटीबॉडी बनाये।