अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कोरोना वैक्सीन्स के बूस्टर डोज पर तीन बड़ी रिसर्च की हैं। जिसमें कई चौंकाने बाले खुलासे हुये है ।
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स्टडी में यह पाया गया है कि फाइजर और मॉडर्ना कंपनियों की बूस्टर खुराक कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ 90% तक कारगर होती हैं। ऐसे में दुनिया भर में ये सवाल उठ रहा है कि क्या अब भी वैक्सीन की दो डोज लेने वालों को फुली वैक्सीनेटेड कहना सही है?
ये कहती है रिसर्च
तीनों शोधों में लाखों कोविड पॉजिटिव मरीजों के डेटा का अध्ययन किया गया है। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें इमरजेंसी में अस्पताल ले जाया गया था। साथ ही, तीनों रिसर्च कहती हैं कि वैक्सीन न लगवाने वाले लोग ही कोरोना होने पर गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं।
CDC की पहली रिसर्च के अनुसार, दिसंबर और जनवरी में लगाए गए बूस्टर डोज के कारण 90% कोरोना मामलों में मरीज को अस्पताल नहीं जाना पड़ा। इन्हीं महीनों के दौरान ओमिक्रॉन ने अमेरिका में रफ्तार पकड़ी थी।
इस समय अमेरिका में कोरोना के 99% मामले ओमिक्रॉन के हैं। इस रिसर्च में देश के 10 स्टेट्स के 88,000 कोविड हॉस्पिटलाइजेशन के केसेज देखे गए। वैज्ञानिकों ने पाया कि वैक्सीन की दूसरी डोज 6 महीने बाद केवल 57% ही असरदार होती है।
दूसरे शोध के नतीजे भी यही कहते हैं कि बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ असरदार है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, बूस्टर डोज के बाद 1 लाख लोगों में से 149 को ओमिक्रॉन का संक्रमण हुआ। वहीं केवल दो डोज लेने के बाद 1 लाख में से 255 को इस वैरिएंट का इन्फेक्शन हुआ।
तीसरी रिसर्च में बताया गया है कि बूस्टर डोज ने ओमिक्रॉन के मरीजों को बीमार होने से बचाया है। CDC के वैज्ञानिकों ने अमेरिका के 13,000 ओमिक्रॉन मामलों की जांच की। इसमें पाया गया कि जिन मरीजों को बूस्टर डोज लगा है, उन्हें दो डोज वालों की तुलना में ओमिक्रॉन के लक्षण आने का खतरा 66% कम होता है।
CDC के अनुसार, फुली वैक्सीनेटेड उन लोगों को माना जाता है, जिन्होंने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की प्राइमरी डोज ले ली हो। यानी जो लोग फाइजर और मॉडर्ना जैसी MRNA वैक्सीन्स की दूसरी डोज ले चुके हों या जॉनसन एंड जॉनसन की पहली डोज ले चुके हों, उन्हें दो हफ्ते बाद फुली वैक्सीनेटेड कहा जा सकता है।
फिलहाल अमेरिका में 12 साल या उससे ऊपर के लोगों को बूस्टर डोज लगाया जा रहा है। ऐसे लोग अपनी दूसरी खुराक पूरी होने के 5 महीने बाद तीसरी डोज ले सकते हैं। CDC के डेटा के अनुसार, देश में बूस्टर के लिए एलीजिबल लोगों में से अब तक केवल आधों ने ही तीसरी डोज लगवाई है।