आज 2 जून है, और सोशल मीडियो से लेकर तमाम जगहों पर लोग पूछ रहे हैं कि आपने 2 जून की रोटी खाई क्या ? दरअसल देश में 2 जून की रोटी कहावत काफी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि वो लोग काफी खुश किस्मत होते हैं जिन्हें 2 वक्त की रोटी नसीब होती है।
कोरोना के कारण कई लोगों को नसीब नहीं हुई 2 जून की रोटी
पिछले दो साल से कोरोना के कारण महंगाई चरम पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल करीब 1 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। लोग किसी तरह अपना घर चलाने को मजबूर हैं। आलम ये है कि कई व्यापारी ठेला लगाकर अपना घर चला रहे हैं। यहीं कारण है कि लोग सोशल मीडिया पर इस कहावत को काफी ट्रेंड कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि इस बार 2 जून की रोटी नसीबवालों को ही मिलेगी। हालांकि ये मुहावरा कहां से आया और 2 जून की रोटी में ऐसी क्या विशेषता होती है।
जानिए क्या है इस कहावत का अर्थ
इसपर एक हास्य-व्यंग्य के अंतरराष्ट्रीय कवि से पूछा गया कि हम 2 मार्च या 2 अप्रैल की रोटी क्यों नहीं कहते ? तो उन्होंने कहा क्योंकि दो जून की रोटी का अर्थ कोई महीना नहीं, बल्कि दो समय (सुबह-शाम) का खाना होता है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो इसका अर्थ कड़ी मेहनत के बाद भी लोगों को दो समय का खाना नसीब नहीं होना, होता है।