नई दिल्ली। कहते हैं कि भारत विविधताओं को देश है और यहां पर अनेक लोगों का समूह एक मंच पर रहकर एक दूसरे से भाईचारा व प्रेम का संदेश देता है। इसी अनेकता में एक धर्म है बहाई धर्म, बहुत से लोगों को यह पता नहीं होगा कि आखिर बहाई धर्म क्या है? तो आइए आज जानते हैं कि आखिर बहाई धर्म की शुरुआत कब से हुई-
बहाई धर्म का अर्थ है ईश्वर की एकता, धर्मों की एकता, तथा मनुष्य मात्र की एकता और इन सभी में विश्वास करना तथा बहाई धर्म हमें सिखाता है कि धर्म फूट के लिए नहीं एकता के लिए बनाया गया इस धर्म के ईश्वरीय अवतार बहाउल्लाह जी हैं जिनका अर्थ परमात्मा का प्रकाश होता है!
बहाउल्लाह जी ने भी पहले के ईश्वरीय अवतारों की भांति हमारे लिए प्रसन्नता तथा एकता का नया युग चुना जो आज के समय की मांग है जो इस समय लड़ाइयां धर्म के नाम पर हो रही हैं मानव मानव को मार रहा है सब समस्याओं को खत्म करने के लिए बहाई धर्म का उदय हुआ है एक सच्चा बहाई जिसने इस धर्म को माना है समझा है उसका पहला कर्तव्य वह बहाउल्लाह के प्रति प्रेम का अनुभव करे और उनकी वाणी तथा उस पर विश्वास करना सीखे अच्छी बात इस धर्म की यह है की इस धर्म को अपनाने में हमें किसी संस्कार बपतिस्मा या नाम परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है अर्थात विश्वास को किसी संस्कार की आवश्यकता नहीं होती और हृदय परिवर्तन परमात्मा की पवित्र वाणी की शक्ति के अतिरिक्त और किसी प्रकार संभव नहीं है।
हमारे ईश्वरीय अवतार बहाउल्लाह के अनुसार सच्चा बहाई वही है जो सारे संसार से प्रेम करें मानवता से प्रेम करें और मानव जाति की सेवा करने का प्रयत्न करें तथा वह हमेशा विश्व शांति तथा मैत्रीभाव के लिए काम में लगा रहे न्याय निष्पक्षता और ईमानदारी से अपने कार्य को अनूठा और श्रेष्ठ बनाएं !
बहाई धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण विश्व के लगभग १८० देशों में समाज-नवनिर्माण के कार्यों में जुटे हुए हैं। बहाई धर्म में धर्म गुरु, पुजारी, मौलवी या पादरी वर्ग नहीं होता है। बहाई अनुयायी जाति, धर्म, भाषा, रंग, वर्ग आदि किसी भी पूर्वाग्रहों को नहीं मानते हैं। -डॉ भारती गांधी