हरतालिका तीज का महत्व महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बेहद खासा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन कोई भी कुंवारी लड़की या फिर कोई शादीशुदा महिला इस खास व्रत को रखती है तो उसका सौभग्य खुल जाता है। हरतालिका तीज में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,माता पार्वती भगवान शंकर को पति रूप में पाना चाहती थीं ओर इसके लिए वह कठोर तप करने लगीं। मां पार्वती ने कई वर्षों तक निराहार और निर्जल व्रत किया। एक दिन महर्षि नारद आए मां पार्वती के पिता हिमालय के घर पहुंचे और कहा कि आपकी बेटी पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं और उन्हीं का प्रस्ताव लेकर मैं आपके पास आया हूं। यह बात सुनकर हिमालय की खुशी का ठिकाना ना रहा और उन्होंने हां कर दिया। जिसके बाद मां पार्वती की भगवान शिव से शादी हो गई। हरतालिका तीज का पर्व आज और कल मनाया जा रहा है।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
हरतालिका पूजा मुहूर्त: 5:53 am से 8:29 am
प्रदोष काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: 6:54 pm से 9:06 pm
तृतीया तिथि प्रारंभ – 2:13 am अगस्त 21, 2020
तृतीया तिथि समाप्त – 11.02 pm अगस्त 21, 2020
लेकिन क्या आप जानते हैं हरतालिका तीज पर कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो व्रत के दैरान नहीं करना चाहिए। जिन्हें करने से इसके प्रभाव गलत पड़ता है।नवविवाहिताएं पहले इस तरह को जिस तरह रख लेंगी हमेशा उन्हें उसी प्रकार इस व्रत को करना होगा। इसलिए इस बात का ध्यान रखना है कि पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका पालन करें। अगर निर्जला ही व्रत रखा था तो फिर हमेशा निर्जला ही व्रत रखें। आप इस व्रत में बीच में पानी नहीं पी सकते।
तीज व्रत में अन्न, जल, फल 24 घंटे कुछ नहीं खाना होता। इसलिए इस व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करना चाहिए।
तीज का व्रत एक बार आपने शुरू कर दिया है तो आपको इसे हर साल ही रखना होगा। अगर किसी साल बामीर हैं तो व्रत छोड़ नहीं सकते। ऐसे में आपको उदयापन करना होगा, या अपनी सास, देवरानी को देना होगा।
इस व्रत में भूलकर भी सोना नहीं चाहिए। इस व्रत में सोने की मनाही है।
इस व्रत में आपने एक बार जो नियम और संकल्प ले लिए, आगे भी उन्हीं नियमों और संकल्पों के साथ इस व्रत को रखना होगा। अगर आपने पहले निर्जला ही यह व्रत रखा था तो हमेशा निर्जला ही व्रत रखें।
हरतालिका तीज पर सुहाग की पिटारी में सुहागिन की सारी वस्तुओं को रखकर माता पार्वती को चढ़ाने की परंपरा होती है. साथ ही भगवान शिव शिव को धोती और अंगोछा अर्पित किया जाता है।
पूजा के बाद के कथा सुनना ना भूलें और रात्रि जागरण जरूर करें. आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
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इस तरह से आप इस पावन व्रत को पूरा करके अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।