नई दिल्ली। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कजली तीज या हरियाली तीज मनाई जाती है इस साल हरियाली तीज 26 जुलाई 2017 को मनाई जाएगी। लेकिन क्यो मनाई जाती है हरियाली तीज आज हम ये आपको बताएंगे। इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरुप भगवान शंकर उन्हें पति के रुप में प्राप्त हुए। कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पू्जा करती हैं।
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रुप में स्वीकार करने का वरदान किया। शिव जी ने पार्वती के कहने पर आशीर्वाद दिया जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में अआने वाली बाधाएं दूर होंगी।
हरियाली तीज पूजा विधि
निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्व करने का विधान है इस दिन व्रत के साथ साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने सेधन विवाह संतान आदि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।
तृतीया तिथि आरंभ- 9 बजकर 57 मिनट
तृतीया समाप्त तिथि- 8 बजकर 8 मिनट पर
ऐसे रखें व्रत
इस दिन महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए इस दिन स्नान के बाद सज धज कर व्रत शुरु करना चाहिए। सुहागिनों को विशेष रुप से हरी साड़ी और चूड़ियां पहननी चाहिए पूरे दिन मन ही मन भगवान शिव और पार्वती का स्मरण करे अपने सखियों के साथ झूला झूलें और शिव पार्वती के गीत गाएं शिव पार्वती के गीत गाने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जल्द ही मनोकामना पूरी करते हैं।
पहला हरियाली तीज पीहर में मनाती है महिलाएं
जिनकी शादी का पहला साल हो वो महिलाएं ये त्योहार अपने पीहर में मनाती है इस दिन व्रत रखकर विशेष श्रृगांर किया जाता है नवविवाहिता इस पर्व को मनाने के लिए एक दिन पूर्व अपने हाथों एंव पैरों में कलात्मक ढंग से मेंहदी लगाती है इस पर्व पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर विवाहिता लड़की को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता है हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहिता लड़की की ससुराल से वस्त्र आभूषण श्रृंगार का सामन भेजा जाता हैं। हरियाली तीज पर मेंहदी लगाने का विशेष महत्व होता हैं।