नई दिल्ली। हरियाली तीज के दिन शिव और पार्वती का पुर्नमिलन हुआ था कि मां पार्वती के 108 वें जन्म में उन्हें शंकर पति के रुप में मिले इसलिए 107 जन्मों तक मां पार्वती भगवान शंकर को पाने के लिए पूजा करती रहीं यह कहा जा सकता है कि मां पार्वती को भगवान शिव ने उनके 108वें जन्म में स्वीकारा था इस व्रत में हाथों में नई चूड़ियां पैरों में उलता और मेहंदी लगाई जाती है इस दौरान मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है इस व्रत में खई जगहों पर मां की प्रतिमा को पालकी में बिठाकर झांकी भी निकाली जाती है।

हरियाली तीज के दिन सबसे पहले महिलाएं नहाकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती है अर्धगोले की आकार की माता की मूर्ति बनाकर उसे पूजा के स्आतन में बीच में रखकर पूजा करती हैं पूजा में कथा का विशेष महत्व है इसलिए हरियाली तीज व्रत कथा जरुर सुनें कथा सुनते वक्त अपने पति का ध्यान करें हरियाली तीज व्रत में पानी नहीं पिया जाता दुल्हन की तरह सजें और हरे कपड़े और जेवर पहने।
इस दिन महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए इस दिन स्नान के बाद सज धज कर व्रत शुरु करना चाहिए। सुहागिनों को विशेष रुप से हरी साड़ी और चूड़ियां पहननी चाहिए पूरे दिन मन ही मन भगवान शिव और पार्वती का स्मरण करे अपने सखियों के साथ झूला झूलें और शिव पार्वती के गीत गाएं शिव पार्वती के गीत गाने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जल्द ही मनोकामना पूरी करते हैं।