नई दिल्ली। हरितालिका तीज को मनाए जाने के पीछे तमाम प्रकार के फैक्टर कार्य करते हैं। इस बार भाद्र शुक्ल तृतीया युक्त चतुर्थी सोमवार को महिलाएं तीज पूजा करेंगी। सुहागन निर्जला व्रत रहकर शिव-पार्वती की पूजा करतीं हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां भी सुंदर पति की चाह के साथ यह व्रत रखती हैं। कहते हैं कि इस व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि महिलाएं अपने पति के लिए इतने कठिन तप को अंजाम देकर उनके लिए वर मांगतीं हैं।
- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रविवार एक सितंबर की सुबह 11.02 बजे से तृतीया तिथि है जो दो सितंबर की सुबह 8.42 बजे तक है। हस्त नक्षत्र दो सितंबर को सुबह 7.15 बजे तक है।
- सोमवार 2 सितंबर को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि है। सुबह लगभग 9 बजे के बाद चतुर्थी हो जा रही है तो यह तृतीया- चतुर्थी युक्त 2 सितंबर को ही व्रत रखना उत्तम है।
- बता दें कि रविवार को यानी तीज से एक दिन पहले महिलाएं नहाय-खाय करेंगी। गंगास्नान करके अरवा चावल, सब्जी का पारण करेंगी इसके बाद सोमवार को चौबीस घंटे तक निर्जला और निराहार व्रत रखेंगी।
भारतीय धर्म-शास्त्रों के मुताबिक भादव शुक्ल तृतीया-चतुर्थी के दिन भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को यह वरदान दिया कि इस तिथि को जो भी सुहागिन अपने पति के दीघार्यु की कामना के साथ पूजन व व्रत करेंगी, जागरण रखेंगी उन पर हमारी विशेष कृपा रहेगी।