मथुराः उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रोशन करने वाले हरिओम शुक्ला आज चाय बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। मश्हूर कराटे चैंपियन हरिओम शुक्ला सरकार की अनदेखा के शिकार बन गए हैं।
केंद्र और राज्य में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन हरिओम को आश्वासन और दिलासे के अलावा कुछ नहीं मिला।
कराटे चैंपियनसिप में गोल्ड मेडलिस्ट हरिओम शुक्ला मूलरूप से मथुरा के छोटी कोसी के रहने वाले हैं। साल 2013 से हरिओम का परिवार यमुना पार ईशापुर पानी टंकी के पास रहकर अपना जीवन काट रहा है।
हरिओम का जन्म 28 अगस्त 1993 में हुआ था। 10वीं और 12वीं हरिओम ने चौधरी बदन सिंह कॉलेज से किया और स्नाकोत्तर जे एस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद से किया।
हरिओम बताते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला तब से उनकी रूचि कराटे लड़ने में रही। जिले से कराटे का खेल शुरू हुआ और इंटरनेशल स्तर तक हरिओम ने अपने विरोधियों के दांत खट्टे किए। इस दौरान हरिओम ने दर्जनों गोल्ड, सिल्वर और कास्य पदक अपने नाम किए।
इतने बड़े मुकाम पर पहुंचने के बाद भी हरिओम को अपना पेट पालने के लिए चाय बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है।