लखनऊ। सोने के आभूषणों तथा कलाकृतियों पर अनिवार्य रूप से हॉलमार्क लगाने की व्यवस्था बीते 16 जून से लागू कर दी गयी थी,इसी के तहत उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में भी यह व्यवस्था लागू की गयी,बाकी के बचे जिलों में भी चरणबद्ध तरीके से लागू करने की बात की जा रही थी,लेकिन अभी तक यह हॉलमार्किंग व्यवस्था बाकी के बचे हुये जिलों में लागू नहीं हो पायी है,वहां के व्यपारियों को इस वजह से हॉलमार्क का लाइसेंस नहीं मिल पाया। जिसके कारण 90 प्रतिशत सोने के आभूषणों का व्यवसाय ठप्प पड़ा है।
बताया जा रहा है कि हॉलमार्क का लाइसेंस न होने के कारण बहुत से स्वर्णकार लखनऊ जैसे शहरों से जहां पर हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू हुयी है,वहां से माल खरीदकर बेंच नहीं सकता,ऐसे में प्रदेश के 56 जिलों के स्वर्ण व्यवसायी काम नहीं कर पा रहे हैं। जिससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का भारी नुकसान हो रहा है। वहीं जब इस मामले पर भारतीय मानक ब्यूरो के लखनऊ स्थित कार्यालय के अधिकारियों से फोन 0522-2728808 , 0522-2306664 पर बात करने की कोशिश की गयी,तो बात नहीं हो पायी।
दरअसल,भारतीय मानक ब्यूरो बीआईएस द्वारा साल 2020 से सोने के गहनों आदि पर हॉलमार्किंग व्यवस्था चला रहा है। इस व्यवस्था के पीछे सरकार की मंशा थी कि लोगों को गुणवत्तापूर्ण सोना तथा उसके आभूषण मिल सके,साथ ही उनके साथ कोई धोखाधड़ी न हो।
हॉलमार्क व्यवस्था इन जिलों में हुयी लागू
आगरा,प्रयागराज,बरेली,बदायुं,देवरिया,गाजियाबाद,गोरखपुर,जौनपुर,झांसी,मथुरा,कानपुर,लखनऊ,मेरठ,मुरादाबाद,मुजफ्फरनगर,गौतमबुद्ध नगर,सहारनपुर,शाहजहांपुर तथा वाराणसी ऐसे जिले हैं,जहां पर हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू हैं।
लखनऊ महानगर सर्राफा के महामंत्री राहुल गुप्ता के मुताबिक लखनऊ में इस समय सर्राफा का कारोबार केवल 10 प्रतिशत ही रह गया है। सोने की खरीददारी पर हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद से अयोध्या, सुल्तानपुर, आजमगढ, प्रतापगढ़, हरदोई, संडीला, अम्बेडकरनगर समेत अन्य जिलों में जहां हॉलमार्क व्यवस्था लागू नहीं हुयी है, उन जिलों में 16 जून के बाद से कोई भी लेनदेन नहीं हुआ है।