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हल्द्वानी: आवारा जानवरों के लिए मसीहा बने हाउल संस्था के लोग, करीब डेढ़ साल से कर रहे सेवा

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ankit हल्द्वानी: आवारा जानवरों के लिए मसीहा बने हाउल संस्था के लोग, करीब डेढ़ साल से कर रहे सेवाअंकित साह, संवाददाता, हल्द्वानी

हल्द्वानी: कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में आवारा जानवरों को भी काफी दिक्कत हो रही है। जिनकी सेवा के लिए हाउल संस्था के लोग आगे आए हैं। ये लोग करीब डेढ़ साल से आवारा जानवरों की मदद कर रहे हैं।

पूरी लगन से जानवरों की मदद कर रही संस्था

दरअसल हल्द्वानी के हाइडिल क्षेत्र के पास स्थित शेल्टर हाउस में कुल 18 से 20 स्ट्रीट डॉग हैं। जिनमें से कुछ डॉग्स पैरालाइज हैं। ऐसे में इस संस्थान के सदस्य अपनी पूरी लगन से इन जानवरों की मदद कर रहे हैं। याद हो कि पिछले साल लॉकडाउन में कई अवारा जानवरों की भूख से मौत हो गई थी। ऐसे में कई लोग आगे आए  जिन्होंने आवारा जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई।

‘पिछले डेढ़ साल से मदद कर रहे हैं’

हाउल संस्था के सदस्य पिछले डेढ़ साल से आवारा जानवरों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दो-तीन लोगों ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी। और आज हमारे साथ लगभग 20 वालंटियर हैं। उन्होने बताया कि हमने एक whatsapp ग्रुप बना रखा है, जिसमें लोग अपने ओर से भी मदद पहुंचाते हैं।

‘स्टॉक्स की भी की जाती है मदद’

हाउस संस्था की दीपिका ने बताया कि मैं पहले अपने एरिया में घूम रहे डॉग की मदद करती थी, लेकिन जैसे ही मुझे इस संस्था के बारे में पता चला तो मैं इस संस्था के साथ जुड़ गई। और इस संस्था के माध्यम से शेल्टर हाउस में जो स्टॉक्स हैं उनकी मदद की जाती है। उन्होने कहा कि उन सभी का ट्रीटमेंट किया जाता है। यहां तक कि शहर के अन्यय क्षेत्रों में भी घूम रहे आवारा जानवरों की हमारे संस्था के वॉलिंटियर्स खाना और उनके ट्रीटमेंट्स का ध्यान रखते हैं।

‘व्हाट्सएप के माध्यम से भी मदद पहुंचा रहे लोग’

वहीं संस्था चला रहे शिवांश प्रभाकर ने कहा की हमने पिछले साल जुलाई से इसकी शुरुआत की थी। हम पहले अकेले में किसी आवारा जानवर की मदद करते थे, तो हम को इतना सपोर्ट नहीं मिलता था। लेकिन जैसे ही हमें धीरे-धीर अपने ग्रुप में लोगों को जोड़ना शुरु किया तो उससे हम और जानवरों की भी मदद कर रहे हैं। उन्होने कहा कि लोग व्हाट्सएप के माध्यम से भी मदद पहुंचाते हैं। कोई फाइनेंशली मदद करता है, तो कोई इन जानवरों के लिए फूड्स की व्यवस्था करता है। बाकी हम सब लोग अपने और से फाइनेंशली मदद करके इनके लिए मेडिसन मुहैया कराते हैं।

‘स्थानीय लोग भी अब आगे आ रहे’

वहीं संस्था के सदस्य दिव्यमित ने कहा कि जिस तरह से आवारा जानवरों की मदद की जा रही है उसको देखते हुए स्थानीय लोग भी अब आगे आ रहे हैं। और लोगों ने भी इनके कार्यों की प्रशंसा की है। लोगो का कहना है कि सभी को मिलजुलकर इस तरह के संस्था के साथ जुड़ना चाहिए। और जो आवारा घूम रहे जानवरों की मदद करनी चाहिए।

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