नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लोग गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं। इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। भारत में इस दिन का काफी महत्व होता है। इस पूर्णिमा को सभी त्योहार के रुप में मनाते हैं। भारत में लोगों के लिए यह आषाढ़ माह की पूर्णिमा काफी खास होती है। इस पूर्णिमा में गुरू की पूजा का काफी महत्व होता है। इस दिन विशेष रुप से कई काम ऐसे होते हैं जिन्हें करने से कष्ट समाप्त होते हैं।
करें ये काम
- गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान भगवान विष्णु को नमस्कार करें। विष्णु जी की पूजा करें और घर में अच्छे जीवन की कामना करें।
- पढाई करने वालों बच्चें इस दिन गीता का पाठ करे। इसके साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी कर सकते है।
- कुंडली में गुरू दोष को दूर करने के लिए आप गुरु का ध्यान करके जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना कर सकते हैं।
- कारोबार के लिए आप जिनको जरुरत हैं उनको पीले अनाज, वस्त्र आदि दान कर सकते है।
गुरु पूजन का मुहूर्त:
- पढ़ाई करने वालों छात्रों के लिए 7 बजे से 8:30 बजे तक पूजा का मुहूर्त है।
- नौकरी करने वाले के लिए 9:15 से 10:30 बजे तक और व्यापार वालों लोगों के लिए 10 से 11:15 बजे पूजा करें।
कौन होते हैं गुरू क्यों होते हैं महत्वपूर्ण
जीवन के अनंत यात्रा जो पूर्ण करे, जो अध्यात्म से लेकर भौतिक जगत के उचित मार्ग को अलौकिक करे , जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाए वह है गुरु जहां आप आकर पूर्ण हो जाते हैं समर्पित हो जाते है जहां आप अपने आप को ढूंढ लेते हैं वह सिर्फ गुरु ही है जो आप को आपसे ही मुलाकात करवाता हैं।
” गु ” शब्द का अर्थ है अन्धकार अज्ञान और ” रु ” शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान । अज्ञान को नष्ट करनेवाला जो ब्रह्मरूप प्रकाश है वह गुरु है इसमें कोई संशय नहीं । भारत मे इतिहास से हीव गुरू की महत्वता रही है। गुरु का हाथ जिसके मस्तक और जीवन पर पड़ा उस शिष्य से वो गुरु को भी गर्व हुआ, धन्य है ऐसे गुरु।
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व भारत खबर की ओर से आप सभी को बहुत बुहत शुभकामनाएं
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