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आज है गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती, जानें प्रकाश पर्व से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

19 01 2021 guru gobind singh आज है गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती, जानें प्रकाश पर्व से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती आज मनाई जा रही है। बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती को गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। वहीं गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व कब सिखों के नानकशाही कैलेंडर के आधार पर तय होता है। आइए आपको बताते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें :-

  •  गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 22 दिसम्बर 1666 में हुआ था और मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 में हुई।
  • 11 नवम्बर 1675 को औरंगज़ेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया। इसके पश्चात वैशाखी के दिन 29 मार्च 1676 को गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए।
  • गुरु गोबिन्द सिंह की तीन पत्नियाँ थीं। 21 जून, 1677 को 10 साल की उम्र में उनका विवाह माता जीतो के साथ आनन्दपुर से 10 किलोमीटर दूर बसंतगढ़ में किया गया। उन दोनों के 3 पुत्र हुए जिनके नाम थे – जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह।
  • 4 अप्रैल, 1684 को 17 वर्ष की आयु में उनका दूसरा विवाह माता सुन्दरी के साथ आनन्दपुर में हुआ। उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम था अजित सिंह।
  • 15 अप्रैल, 1700 को 33 वर्ष की आयु में उन्होंने माता साहिब देवन से विवाह किया। वैसे तो उनका कोई सन्तान नहीं था पर सिख पन्थ के पन्नों पर उनका दौर भी बहुत प्रभावशाली रहा।
  • गुरु गोबिंद सिंह जी का नेतृत्व सिख समुदाय के इतिहास में बहुत कुछ नया ले कर आया। उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के दिन खालसा जो कि सिख धर्म के विधिवत् दीक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक रूप है उसका निर्माण किया।
  • 27 दिसम्बर सन्‌ 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंहजी को दीवारों में चुनवा दिया गया।
  • 8 मई सन्‌ 1705 में ‘मुक्तसर’ नामक स्थान पर मुगलों से भयानक युद्ध हुआ, जिसमें गुरुजी की जीत हुई।
  • श्री आनन्दपुर साहिब जी में एक बहुत बड़े सम्मेलन का आयोजन किया और वहां पर शामिल लोगों से सिरों की मांग की, 5 लोग आपको सर देने के लिए तैयार हुए जिन्हें अपने अमृत पिला कर पांच प्यारों का नाम दिया और अपने खुद भी उन से अमृत पान किया।
  • सिखों को जीवन जीने के लिए पांच ककार केश, कड़ा, कृपाण, कच्छा, और कंघा धारण करने के उपदेश दिए थे।
  • गोविन्द जी शान्ति, क्षमा, सहनशीलता की मूर्ति थे। गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर नगर प्रभात फेरी का आयोजन होता है, जिसमें सिख समुदाय के लोग बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं।

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