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राजस्थान सरकार की बढ़ी मुश्किलें, गुर्जर समाज का आंदोलन

03 27 राजस्थान सरकार की बढ़ी मुश्किलें, गुर्जर समाज का आंदोलन

नई दिल्ली। राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और राजस्थान सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। जहां एक तरफ राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा है तो वहीं गुर्जर समाज ने राजस्थान की सीएम वुसंधरा राजे की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं एक बार फिर गुर्जर समाज राजस्थान की राजनीति में उबाल ला सकता है।

03 27 राजस्थान सरकार की बढ़ी मुश्किलें, गुर्जर समाज का आंदोलन

गुर्जर समुदाय का आंदोलन

बता दे कि राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर समाज की ओर से प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है। गुर्जर समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठाने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि सरकार 5 फीसद आरक्षण देने पर बहानेबाजी कर रही है। गुज्जर समुदाय के साथ नाइंसाफी हो रही है। सरकार को चेताने के लिए वो लोग 21 मई से पहले आंदोलन करेंगे।कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि गुज्जर समाज की आवाज बुलंद करने के लिए पटोली, पीपलखेड़ा, दौसा, सिकंदरा, कोटपुतली, अजमेर, पाली, जालोर, भीलवाड़ा और सवाईमाधोपुर में आंदोलन किया जाएगा।

आंदोलन को कामयाब बनाने के लिए गांवों का दौरा

आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि आंदोलन को कामयाब बनाने के लिए समाज के लोगों गांवों का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने आरक्षण दिलाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये। समिति का कहना है कि बिल के खारिज होने के बाद भी रिवीजन याचिका भी दायर नहीं की गई। गुर्जर समाज चाहता है कि ओबीसी में वर्गीकरण कर उन लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जाए। राजस्थान सरकार के वादाखिलाफी के बाद आंदोलन के अलावा कोई चारा नहीं है।

बता दें कि करीब तीन साल पहले गुज्जर समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग पर जबरदस्त आंदोलन किया था। उस आंदोलन की वजह से करीब 10 दिनों तक राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ था। गुज्जर समाज के लोगों ने दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को पूरी तरह ठप कर दिया था। राजस्थान सरकार के रुख पर हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था।

बता दे कि गुर्जर समाज के एक बार फिर आंदोलन करने से राजनीति गरमा सकती है। और इसका सीधा असर राजस्थान विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। राजस्थान सरकार और केंद्र के बीच अध्यक्ष पद को लेकर तनातनी जारी है जिसकी वजह से राजस्थान में अभी तक प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

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