नई दिल्ली। गुजरात की पारसी महिला गुलरुख गुप्ता के हिंदू युवक से शादी करने को लेकर पारसी समाज ने उसके पारसी मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगा थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने कैंसल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर कहा कि गुलरुख पारसी मंदिर में प्रवेश कर सकती है। आपको बता दें कि गुलरुख गुप्ता के अपने समाज से बाहर हिंदू पुरुष से शादी करने पर पारसी मंदिर में जाने पर रोक लगा दी गई थी, जिसकों लेकर गुलरुख ने अहमदाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने महिला को पारसी रीति रिवाज मे हिस्सा लेने की मनाही के पारसी ट्रस्ट के फैसले को सही ठहराया था और कहा था कि विवाह के बाद महिला का धर्म पति के धर्म मे तब्दील हो गया है।
इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। महिला ने कहा था कि उसने हिंदू युवक से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी, धर्म परिवर्तन नहीं किया था इसलिए उसे पारसी रिवाज से पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने का हक मिलना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महिला की दलील को सुनने के बाद कहा कि कानून में ऐसा कहीं नहीं है की अगर कोई महिला दूसरे धर्मावलंबी से शादी कर ले तो उसे अपने धर्म के रीति रिवाज में शामिल नहीं किया जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए स्पेशल मैरिज एक्ट लाया गया ताकि अंतर्धामिक शादियां हो सकें और हर व्यक्ति अपने धर्म का पालन करता रहे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि संविधान की धारा 25 के तहत हमें धर्म और आस्था चुनने की आजादी है। इस आधार पर किसी को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का हक है। उन्होंने कहा था कि समाज में एक लड़के और एक लड़की के प्रति नजरिया अलग-अलग है। यही वजह है कि लड़की को पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने दिया गया। जब कोर्ट ने पूछा कि हाईकोर्ट ने ये फैसला क्यों दिया तो इंदिरा जय सिंह ने कहा कि इसलिए कि उसने एक हिन्दू से शादी की थी।