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आरक्षण को लेकर गुर्जर विरादरी मुखर, केंद्र सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम

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  • भारत खबर || राजस्थान 

गुर्जर आंदोलन की आहाट एक बार फिर से राजस्थान में गूंजने लगी है और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने अगले 15 दिनों में सामुदायिक आरक्षण के वादे को पूरा करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि अगर सरकार ऐसा करने में असफल रहती है तो संगठन अपनी आवाज बुलंद करने को बाध्य होगा और इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार होगी।

15 दिन में आरक्षण चाहिये वरना होगी आर-पार की लड़ाई

सामुदायिक आरक्षण पर बात करने के लिए एसोसिएशन ने जिला कलेक्ट्रेट नन्नू मल पहाड़िया से मुलाकात की और उन्होंने अपनी मांग को बुलंद करते हुए कहा कि 15 दिनों में सामुदायिक आरक्षण के वादे को पूरा कर देना चाहिए।

गुर्जर आरक्षन संघर्ष समिति के एक सदस्य भूरा भगत ने एएनआई को बताया, ‘हमने सरकार से अगले 15 दिनों के भीतर अपने समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए कहा है। अगर राज्य सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो हम उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।’

सरकार होगी जिम्मेदार

समिति के सदस्य भूरा भगत ने कहा है कि सरकार विरोध करने पर मजबूर कर रही है अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो हम विरोध करने को बाध्य होंगे। इसके अलावा सदस्य विजय बैंसला ने कहा है क्या संसद सत्र चल रहा है और हमारे लिए आरक्षण लागू करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर केंद्र ने हमारे लिए आरक्षण लागू नहीं किया तो हम दिल्ली में भी विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।

पहले भी हिंसक रूप ले चुका है आंदोलन

आपको बता दें कि गुर्जर आंदोलन पहले भी आरक्षण की मांग को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुका है और कई बार तो यह आंदोलन हिंसा का रूप ले चुका है। 2006 में हुए पहले गुर्जर आरक्षण आंदोलन में राज्य बुरी तरह से परेशान हो गया था और 72 लोगों की जान इसमें चली गई थी। राजस्थान से शुरू होने वाले गुर्जर आंदोलन की आग देखते ही देखते पूरे देश में फैल गई रेल यातायात को प्रभावित करने वाला यह आंदोलन फरवरी 2019 में गुर्जर समाज के आरक्षण की मांग को लेकर सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर के दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक पर डाल दिया था।

पुलिस बल का प्रयोग करते हुए प्रशासन और सरकार ने काबू में किया और गुर्जर आंदोलन इस मुद्दे को लेकर चल रहा था उस पर बैठकर बातचीत करने का रास्ता सुझाया उसके बाद आंदोलन काबू में हुआ था।

जाट आरक्षण बनाम गुर्जर आरक्षण का नजारा

आपको बता दें कि जिस तरह से देश में जाट आरक्षण हुआ था और पूरे देश के अलग-अलग लोगों ने हिंसक और खतरनाक प्रदर्शन देखा था ठीक उसी तर्ज पर अब गुर्जरों ने आंदोलन छेड़ने की बात कही है और अगर सरकार ने गुर्जर आरक्षण पर कोई मसौदा नहीं बनाया या कोई बीच का रास्ता नहीं निकाला तो आने वाले समय में गुर्जर आरक्षण आंदोलन हिंसक रूप ले सकता है और पिछली बार की तरह एक बार फिर से जानलेवा आंदोलन पूरे भारत में आग की तरह फैल सकता है।

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