नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की सोमवार को खत्म होने वाली दो दिवसीय बैठक को एक ही दिन में पूरा कर लिया गया। जो हालात हैं और नोटबंदी के बाद राजनीतिक टकराव जिस हद तक बढ़ा है, उनमें यह संभव नहीं लग रहा है कि केंद्र सरकार की पहली अप्रैल 2017 से जीएसटी को लागू करने की उम्मीद परवान चढ़ पाएगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की। इस बैठक में दोहरे कर नियंत्रण (कुछ खास राशि तक कर निर्धारण का अधिकार केंद्र के पास हो या राज्य के पास, से संबंधित विवाद) के मुद्दे पर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई।
इस बैठक में जीएसटी से जुड़े तीन विधेयकों को भी अंतिम रूप देना था, जिनमें केंद्रीय जीएसटी, एकीकृत जीएसटी और मुआवजा कानून शामिल था। इन कानूनों को संसद की जारी शीतकालीन सत्र में भी रखने की तैयारी थी जो 16 दिसंबर को खत्म हो रही है। लेकिन, दोहरे कर नियंत्रण पर केंद्र व राज्यों के बीच गतिरोध बना रहा। बैठक के बाद जेटली ने यहां संवाददाताओं को बताया कि अब दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर 22 और 23 दिसम्बर को होने वाली जीएसटी की बैठक में चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा, “एक सेक्शन का मसौदा दोबारा तैयार करने की जरूरत है। एक तो दोहरे नियंत्रण का मुद्दा है जिसे हमने फिलहाल किनारे रख दिया है। हालांकि अन्य मुद्दों पर संतोषजनक चर्चा हुई और उम्मीद है कि अगली बैठक में इस पर भी सहमति बन जाएगी।”
जेटली ने कहा कि रविवार की बैठक में दोहरे नियंत्रण का मुद्दा नहीं उठा। इसके बजाए विधेयकों पर चर्चा हुई। उन्होंने उम्मीद जताई कि जीएसटी को पहली अप्रैल 2017 से लागू कर दिया जाएगा। यह संवैधानिक बाध्यता है कि जीएसटी को 16 सितम्बर 2017 तक लागू कर दिया जाए। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर दुराग्रही बना हुआ है।
बीटीवीआई चैनल को दिए गए साक्षात्कार में इसाक ने कहा कि दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र को अपने कदम पीछे खींचना चाहिए। राज्यों ने लगभग सभी मुद्दों पर केंद्र की राय मान ली है। इस मुद्दे पर केंद्र को अपने रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “एकतरफा यातायात नहीं हो सकता। केंद्र को भी समायोजन करना चाहिए। नोटबंदी के कारण पूरा माहौल बिगड़ गया है। इससे राज्यों के राजस्व पर काफी असर पड़ा है। केरल में हमारा अनुमान है कि राजस्व में 40 फीसदी की कमी आएगी।”