नई दिल्ली। उरी आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की विश्वसनीयता पर पाकिस्तान सरकार और वहां की मीडिया द्वारा लागातार सवाल उठाए जा रहे हैं। यहां तक की भारत सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत को सार्वजनिक करने की अपील की गई लेकिन बुधवार को आ रही खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि सबूतों को सार्वजनिक करने से पाकिस्तान सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती। बता दें कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के साथ मीटिंग की थी जिसमें सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के सारे सबूत रक्षा मंत्रालय को सौंप दिए थे।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सरकारी सूत्रों ने कहा है कि भारत इस समय युद्ध करने के समर्थन में नहीं है लेकिन अगर फिर भी युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत लड़ने और जीतने के लिए तैयार है। इसके साथ गी सरकारी सूत्र ने यह भी कहा है कि भारत को सर्जिकल स्ट्राइक पर कूटनीतिक समर्थन भी मिला क्योंकि किसी भी देश ने हिंदुस्तान के इस कदम का विरोध नहीं किया है। पाकिस्तान के सबसे करीबी माने जाने वाले चीन ने भी इस मामले पर कोई विरोध दर्ज नहीं किया। इतना ही नहीं बहुत से इस्लामिक देशों की तरफ से आने वाले बयान भी भारत के समर्थन में थे। इसके साथ ही ये भी खबर मिली है कि 2017 गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में अबु धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहान को बुलाना भी कूटनीति का ही हिस्सा है।
बता दें कि पिछले कई दिनों से सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिए जाने के बाद भारत की राजनीति में सरगर्मीं उस समय बढ़ गई जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो संदेश जारी करके सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को सलाम करते हुए कहा था कि हाल में वे (पाकिस्तान) अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तान ले गए और उनसे कहा कि भारतीय सेना द्वारा कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं किया गया। मोदी जी को पाकिस्तान के झूठे प्रचार को बेनकाब करना चाहिए। जिसके बाद से इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया। केजरीवाल के बाद कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे को फर्जी बताया हालांकि कांग्रेस ने संजय के इस बयान से किनारा कर लिया था।