नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामें में केंद्र सरकार ने पुराने पुराने नोट बदलने के लिए एक और मौका देने से इनकार कर दिया है। अपने हलफनामें में केंद्र ने कहा है कि अगर पुराने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट जमा करने का दोबारा मौका दिया गया तो काले धन पर नियंत्रण रखने के लिए की गई नोटबंदी का मकसद खत्म हो जाएगा। इस मामले पर कल यानि 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच सुनवाई करेगी।
अपने हलफनामें में केंद्र सरकार ने कहा है कि 1978 में तो नोटबंदी के दौरान केवल छह दिन दिए गए थे जबकि इस बार तो केंद्र सरकार ने 51 दिन दिए थे जो काफी थे। आपको बता दें कि पिछले 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश दिया था कि वो यह बताएं कि पुराने नोटों को जमा कराने वाले असली जमाकर्ताओं को नोटिस जमा कराने की इजाजत देंगे या नहीं। कोर्ट ने दोनों को दो हफ्ते में फैसला कर बताने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र से कहा था कि आपने वादा किया था कि जिन जमाकर्ताओं की वाजिब वजह है उन्हें पुराने नोट जमा करने की अनुमति दी जाएगी। आप इस वादे से पीछे नहीं हट सकते हैं। जो व्यक्ति ये सबूत देता है कि उसकी दिक्कत वाजिब है उसे जमा करने का मौका जरूर मिलना चाहिए। उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा था कि वे हर वाजिब जमाकर्ता की हकीकत जानने को तैयार हैं। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर केंद्र दो हफ्ते में फैसला कर प्रस्ताव लेकर आए।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम उनके वाजिब कारणों से सहमत हैं लेकिन उन्हें जमा करने का कोई विंडो मौजूद नहीं है। आप उनके पैसे लीजिए और वेरिफिकेशन कीजिए। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो ये एक गंभीर मसला है।
वकील सुधा मिश्रा और अन्य ने याचिका दायर कर मांग की है कि पुराने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट जमा करने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर में जब नोटबंदी लागू किया गया था तब सरकार ने कहा था कि वाजिब लोगों के पैसे जमा किए जाएंगे लेकिन सरकार ने 31 दिसंबर 2016 को पुराने नोट जमा करने के सारे विंडो बंद कर दिए। याचिका में सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है।