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भारत सरकार ने नेट मीटरिंग व्यवस्था को दी मंजूरी,उद्यमियों में खुशी की लहर

Tariq Hasan Naqvi भारत सरकार ने नेट मीटरिंग व्यवस्था को दी मंजूरी,उद्यमियों में खुशी की लहर

लखनऊ। एमएसएमई (MSME) सेक्टर से जुड़े उद्यमियों के लिए राहत भरी खबर है। भारत सरकार ने बंद पड़ी नेट मीटरिंग व्यवस्था को शुरू करने की मंजुरी दे दी है। जिसका इण्डियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने स्वागत किया है। आईआईए के सोलर एनर्जी कमेटी के नेशनल चेयरमैन तारिक हसन नकवी ने प्रधानमंत्री तथा वैक्लपिक उर्जा मंत्री का आभार व्यक्त किया है,साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रदेश में भी इस व्यवस्था को लागू करने की मांग की है।

दरअसल बीते कुछ साल पहले नेट मीटरिंग की व्यवस्था सुचारू रूप से चला करती थी। जिससे उद्यमियों को काफी फायदा था। इतना ही नहीं भारी तादात में उद्यमी सोलर एनर्जी की तरफ रूख कर रहे थे,कई लोगों ने अपने इकाईयों में सोलर प्लांट लगा रखा था,लेकिन जैसे ही नेट मीटरिंग व्यवस्था बंद हुयी,उद्यमियों का भी मोह सोलर एनर्जी से भंग होता गया।

क्या है नेट मीटरिंग और उद्यमियों के लिए कयों है फायदेमंद

आईआईए के सोलर एनर्जी कमेटी के नेशनल चेयरमैन तारिक हसन नकवी की माने तो मौजूदा समय में सोलर एनर्जी को लेकर बहुत सारी समस्याएं है,एक समय था जब नेट मीटरिंग व्यवस्था हुआ करती थी,तब सोलर एनर्जी खूब फलफूल रही थी,इतना ही नहीं एमएसएमई इकाईयों को भी काफी फायदा था।

उन्होंने बताया कि एमएसएमई सेक्टर में किसी के पास छोटी फैक्ट्री लगी हुयी है किसी के पास बड़ी फैक्ट्री है,जिसके पास छोटी फैक्ट्री है उसके पास पचास किलोवाट क्षमता का बिजली कनेक्शन हुआ करता है,किसी के पास बड़ी फैक्ट्री हो तो 100 किलोवाट क्षमता का कनेक्शन है। इसके लिए इनके पास नेट मीटरिंग की सुविधा थी। उन्होंने बताया कि मान लिजिए जिसके पास 100 किलोवाट का कनेक्शन था और उसने अपने यहां सोलर प्लांट भी लगा रखा था,सोलर प्लांट से वह 80 किलोवाट बिजली खर्च कर लेता था। इससे बड़ा फायदा था,क्योंकि अपनी फैक्ट्री में लगे पावर प्लांट से बिजली लेने पर प्रति युनिट तीन रूपये के करीब खर्च आता था,जबकि बिजली विभाग से बिजली लेने पर 9 रूपये के करीब प्रतियुनिट देना पड़ता  था। खुद बिजली बनाकर खुद उसका इस्तेमाल करने में नुकसान नहीं हो रहा था,लेकिन जब से नेट मीटरिंग की सुविधा बंद हुयी थी,तब से बिजली विभाग को अपनी बिजली देने के बाद 9 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली लेनी पड़ती थी,वहीं बिजली विभाग एमएसएमई इकाईयों से ली गयी बिजली के बदले प्रति युनिट काफी कम पैसा देता था,यही वजह थी कि सोलर युनिट के प्रति लोगों को मोह भंग होता गया।

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