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सरकार 2.5 लाख कमाने वाले से इनकम टैक्स ले रही है, 8 लाख वाले को गरीब बता रही- कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल सरकार 2.5 लाख कमाने वाले से इनकम टैक्स ले रही है, 8 लाख वाले को गरीब बता रही- कपिल सिब्बल

कांग्रेस के सांसद और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में 10 आरक्षण बिल पर बोलते हुए कहा कि संविधान बदलने जा रहे हैं लेकिन सरकार तब भी इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास 5 साल थे लेकिन अब क्यों जल्दी की जा रही है। सिब्बल ने कहा कि क्या बिल लाने से पहले सरकार ने कोई डाटा तैयार किया गया है। बिना किसी डाटा और रिपोर्ट के आप संविधान संशोधन करने जा रहे हो। सिब्बल ने कहा कि एक ओर 2.5 लाख कमाने वाले को इनकम टैक्स देना पड़ता है। दूसरी ओर आप 8 लाख कमाने वाले को गरीब बता रहे हैं। आप इनकम टैक्स लिमिट को भी 8 लाख कर दीजिए।

 

कपिल सिब्बल सरकार 2.5 लाख कमाने वाले से इनकम टैक्स ले रही है, 8 लाख वाले को गरीब बता रही- कपिल सिब्बल
सरकार 2.5 लाख कमाने वाले से इनकम टैक्स ले रही है, 8 लाख वाले को गरीब बता रही- कपिल सिब्बल

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वहीं बिल पर के पक्ष में बहस करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पहले कांग्रेस ने अगड़ी जातियों को पहले आरक्षण क्यों नहीं दिया। अब हम दे रहे हैं तो आप सवाल उठा रहे हैं। प्रसाद ने कहा कि यह संविधान के मौलिक अधिकार में परिवर्तन है और यह केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की नौकरी में भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि समर्थन करना है तो खुलकर करिए। उन्होंने कहा कि आज संसद इतिहास बना रही है और हम सब यहां बैठकर बड़ा बदलाव ला रहे हैं। कानून मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार में हिम्मत है कि वो गरीबों के हर वर्ग की चिंता करती है।

बिल देरी से लाने के आरोपों पर कानून मंत्री ने कहा कि क्रिकेट में छक्का स्लॉग ओवरों में लगता है। उन्होंने कहा कि यह पहला छक्का नहीं है अभी विकास और बदलाव के लिए दूसरे छक्के भी आने वाले हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सभी सदस्यों ने इस बिल का समर्थन किया है। लेकिन ‘लेकिन’ जरूर लगा दिया है।

प्रसाद ने कहा कि संविधान के बुनियाद ढांचे को नहीं बदला गया है। उन्होंने कहा कि जातिगत आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की सीमा तय की है आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए कोई सीमा नहीं है। मौजूदा एससी/एसटी और ओबीसी आरक्षण में किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि संविधान में आर्थिक तौर पर कमजोर अगड़ी जातियों को आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।

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