मुंबई। मुंबई हाईकोर्ट ने संजय दत्त की रिहाई को लेकर एक बार फिर कड़ा रुख अपनाते हुए दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र सरकार से लिखित में जवाब देने को कहा है, जिसमें राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताना होगा कि किस आधार पर संजय दत्त को सजा में राहत दी गई। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे, तो राज्य सरकार ने इस बारे में जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट में जेल प्रशासन की ओर से कहा गया था कि संजय दत्त की रिहाई के मामले में किसी कायदे-कानून का उल्लंघन नहीं किया। अब हाईकोर्ट ने इस बारे में कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से लिखित रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है।
बता दें कि अदालत में बीते सोमवार को इस केस की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी निजी तौर पर पेश हुए और अदालत में सरकार की ओर से हलफनामा जमा कराया। एडवोकेट जनरल ने लिखित जवाब तैयार करने के लिए कुछ समय की मांग की, जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने दो सप्ताह के भीतर लिखित जवाब जमा करने को कहा। माना जा रहा है कि दो सप्ताह बाद अदालत में जब महाराष्ट्र सरकार का जवाब जमा हो जाएगा, तो हाईकोर्ट इसके बाद अगली सुनवाई की तारीख तय करेगी और उस तारीख को इस केस में अपना फैसला सुना देगी।
वहीं टाडा के तहत गैरकानूनी रुप से हथियार रखने के आरोप में दोषी साबित हुए संजय दत्त को पांच साल की सजा सुनाई गई थी। पिछले साल फरवरी में जब संजय दत्त को सजा पूरी होने के बाद रिहा किया गया था, तो उनकी सजा में 8 महीनों का वक्त बाकी थी। इस पर हंगामा हुआ, तो सरकार ने सफाई दी थी कि जेल की सजा के दौरान अच्छे आचरण के आधार पर उनको ये छूट मिली है। हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जेल अधिकारियों ने संजय दत्त के अच्छे आचरण की व्याख्या किस आधार पर की, जबकि आधे समय वे पैरोल पर जेल से बाहर रहे थे। 2013 में संजय दत्त को पहले 90 दिनों का पेरोल मिला और फिर उनको 30 दिनों का फिर से पैरोल दिया गया।