नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण का प्रकोप इतना भयावह हैं। जिसके चलते देश में लम्बे समय तक पूर्ण लॉकडाउन रहा। कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध न होने की केंद्र सरकार ने कही थी। जिसके बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेर लिया। अब केंद्र सरकार ने आज इस मामले में सफाई दी हैं।
डाटा को एकत्रित करने का कोई तंत्र नहीं: केंद्र
केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि जिलों में ऐसा डाटा एकत्रित करने का कोई ‘तंत्र’ नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि कई दशकों से स्थापित मानदंडों के अनुसार, जन्म और मृत्यु से संबंधित आंकड़े नगरीय निकाय के स्तर पर रखा जाता हैं। सूत्रों ने कहा कि नगरीय निकाय स्तर पर किसी जिले में प्रवासी मजदूरों की मौत से संबंधित डाटा एकत्र करने का तंत्र मौजूद नहीं हैं। ऐसे में इस मामले में श्रम मंत्रालय की ओर से अपनाए गए रुख पर सवाल उठाना सही नहीं है।
श्रम मंत्रालय ने दी जानकारी
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में बताया था कि प्रवासी श्रमिकों की मौत पर सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं हैं, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है।’ दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है?
विपक्ष ने किया खूब हंगामा
लोकसभा में सरकार के इस जवाब पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया। श्रम मंत्रालय ने माना है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी श्रमिक देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं। आज श्रम मंत्रालय की ओर से कोविड-19 संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए किए गए उपायों के बारे में जानकारी दी गई।
विपक्ष ने दागे सवाल
बता दें कि मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान गई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है?
साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है? इस पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की ओर से बताया गया कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा नहीं हैं। ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है।’