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शराब को लेकर सरकार बैकफुट पर

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देहरादून। बीते शुक्रवार को सूबे में प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक थी। इस बैठक में दो विषय प्रकाश में आए पहला तो आबकारी नीति में आए सुझावों पर संसोधन लाया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है,जिसकी जानकारी प्रदेश सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने दी। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने एक प्रेस वार्ता के दौरान सरकार के फैसले का ऐलान किया।

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उन्होंने बताया कि सरकार ने आबकारी नीति में लोगों के सुझाव के आधार पर संशोधन को कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि फैसले के बाद आबकारी नीति के तहत पुरानी व्यवस्था के आधार पर ही दुकानों का लाइसेंस आवंटित किया जाएगा। इस दौरान कई सवालों का जबाव देते हुए सरकार के प्रवक्ता और मंत्री मदन कौशिक ने साफ किया कि सरकार शराब को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं है। बल्कि शराब से राजस्व कैसे मिले ये देख रही है। इसी बावत मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक बयान में कहा है कि शराब बिक्री के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही है, वह निराधार है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हमारी सरकार ने एक पारदर्शी आबकारी नीति लागू की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार एफ.एल.-5एम/डी.एस. के नाम से एक पॉलिसी लाई थी जिसके अंतर्गत मॉल/डिपार्टमेंटल स्टोर में 02 लाख रूपए का शुल्क देकर लाइसेंसधारियों को विदेशी शराब बेचने का अधिकार दिया गया था। हमारी सरकार ने इस पॉलिसी के दुरूपयोग को रोकने हेतु नए कदम उठाए हैं।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नए प्रावधानों के तहत मॉल/डिपार्टमेंटल स्टोर का लाइसेंस शुल्क 02 लाख से 05 लाख कर दिया गया है। साथ ही ये प्रावधान भी किया गया है कि यह लाइसेंस तब दिया जाएगा, जब उस स्टोर का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये से अधिक हो। इससे वास्तविक डिपार्टमेंटल स्टोर ही उक्त अनुज्ञापन प्राप्त कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने मीडिया के साथियों व जनता से अपील की है कि इस मुद्दे पर भ्रामक खबरों या दुष्प्रचार से बचें। एफ.एल.-5एम/डी.एस. पाॅलिसी में किए गए संशोधन परचून किराना स्टोर में शराब बेचने के लिए नहीं है बल्कि पहले से चली आ रही पॉलिसी का दुरूपयोग रोकने का एक ईमानदार एवं पारदर्शी कदम है। सरकार शराब को बढ़ावा देने के पक्ष में नही है, बल्कि इसके लिए बनाये नियमों का पारदर्शी तरीके से लागू करने का प्रयास कर रही है।

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