गोवर्धन: राधाकुंड कस्बा के परिक्रमा मार्ग संगम तट के समीप स्थित महाप्रभु मंदिर में कलियुग में श्री पावन अवतार चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्योत्सव गौर पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर श्रीपाद रघुनाथ दास गोस्वामी गद्दी के गद्दीनशीन महन्त केशव दास महाराज की सानिध्यता में प्रभु के श्रीविग्रह का पंचगव्यों से अभिषेक कराया और महाप्रभु को 64 भोग अर्पण किए गए।
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शंखों की प्रतिध्वनि में भावविभोर हुए भक्त
महाप्रभु के जन्म अभिषेक के समय घण्टे, घड़ियाल और शंखों की प्रतिध्वनि के बीच दर्शन करने आए भक्त भावविभोर नजर आए। इस अवसर पर महन्त केशव दास महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार चैतन्य महाप्रभु का जन्म पश्चिम बंगाल के नदिया जिला में 15 वीं शताब्दी में 537 वर्ष पूर्व हुआ है।
64 प्रकार के भोग लगाकर साधु संत- महंतो का किया स्वागत
उन्होंने कहा कि जैसे त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण तो कलि काल में गौरांग महाप्रभु धरा पर आए हैं। इन्होंने जगाई मधाई उद्धार के लिए चक्र सुदर्शन को बुलाया है। उनके जन्मोत्सव पर 64 प्रकार के भोग लगाकर साधु संत- महंतो का स्वागत किया। इस अवसर पर सुवल दास सरदार, हरि पुजारी, निताई दास, दींनबन्धु दास कोतवाल, बृजकांत दास, छेलबिहारी दास आदि थे।