एजेंसी, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परम्परागत सीट गोरखपुर में प्रत्याशी के चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री Yogi Adityanath की परंपरागत Gorakhpur Loksabha seat पर प्रत्याशी तय करने के मुद्दे पर बीजेपी में चल रहा मंथन पूरा हो गया है। इस गहन मंथन के नतीजों की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र की ही पिपराइच सीट से विधायक महेन्द्र पाल सिंह भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं। महेन्द्र पाल पिछड़ी जाति के हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से अपराजेय सांसद रहे। वह लगातार पांच बार लोकसभा के लिए चुने जाते रहे। गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी बनने के बाद वह अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बन गए थे।
वर्ष 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद वर्ष 2014 तक वह लगातार लोकसभा में बने रहे। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने से रिक्त हुई उनकी सीट पर भाजपा अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी। वर्ष 2018 में हुए उप चुनाव में सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने भाजपा प्रत्याशी उपेन्द्र दत्त शुक्ल को हरा दिया। इस पराजय के कारण भी भाजपा को प्रत्याशी तय करने में दिक्कतें आ रही थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरक्षपीठ की प्रतिष्ठा से भी जुड़े होने के कारण भाजपा हर हाल में यह सीट वापस पाना चाहती है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के चयन की प्रक्रिया में भाजपा ने कई तरह के प्रयोग आजमाए।
सबसे पहले पिपराइच की पूर्व विधायक राजमती निषाद और उनके बेटे अमरेन्द्र निषाद को भाजपा में शामिल कराया गया। राजमती पूर्व मंत्री स्व. जमुना निषाद की पत्नी हैं और खुद एक बार सपा से विधायक रही हैं। स्व. जमुना निषाद विधायक होने से पहले गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे और अच्छी संख्या में वोट हासिल कर राजनीतिक दलों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे थे। इस परिवार को भाजपा में शामिल कराने से भी बात नहीं बनी तो भाजपा ने गोरखपुर के मौजूदा सपा सांसद प्रवीण निषाद को भी पार्टी में शामिल करा लिया।
इस तरह माना जाने लगा था कि अमरेन्द्र निषाद या प्रवीण निषाद को भाजपा गोरखपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है। बीच-बीच में उप चुनाव में प्रत्याशी रहे उपेन्द्र दत्त शुक्ल और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह को भी प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा होती रही। उपेन्द्र शुक्ल मौजूदा समय में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उप चुनाव में वह लगभग 21 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे।
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