ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से एक अच्छी खबर आ रही है। कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल काफी हद तक सफल रहा है। अब इसके उत्पादन की तैयारी शुरू होने वाली है।
नई दिल्ली: ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से एक अच्छी खबर आ रही है। कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल काफी हद तक सफल रहा है। अब इसके उत्पादन की तैयारी शुरू होने वाली है। वैक्सीन के उत्पादन की दिशा में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अभी काम शुरू कर दिया है। आदार पूनावाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस दवा को बनाने के लिए 200 मिलियन डॉलर को बनाने में लगा दिया है। पूनावाला का कहना है कि ये एक जोखिम भरा है लेकिन दवा की जरूरत को देखते हुए ये कदम उठाया गया है। आगे उन्होंने कहा कि अगर ये अगले चरण में असफल रहा तो इसका नुकसान हमे उठाना पड़ेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि अगर ये चरण सफल रहा तो भारत में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बनने वाली ये दवाई नवंबर में भारत में आ सकती है। जिसकी कीमत 1000 रूपये होगी।
बता दें कि इस सप्ताह द लांसेट मेडिकल जर्नल में जो ट्रायल किए गए हैं उसे लेकर कहा गया है कि इससे किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं है। इस चरण में वैक्सीन को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है जो कोरोना की एंटीबॉडी बना रहा है। उनका कहना है कि भारत में हर किसी को टीका लगाने में दो साल लग सकते हैं।
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वहीं उन्होंने कहा कि हम अगस्त में भारत में चरण 3 के परीक्षणों पर जाने के लिए आश्वस्त हैं और हम आशा करते हैं कि इसे पूरा होने में दो से ढाई महीने लगेंगे … और वह नवंबर तक पूरा हो जाएगा। भारत के लोगों के लिए सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित कोविशिल्ड का आधा स्टॉक तैयार किया जाएगा। जिसका मतलब है कि प्रत्येक महीने लगभग 60 मिलियन शीशियों में से, भारत को 30 मिलियन मिलेंगे।
वहीं वैश्वीकरण के युग में, “स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पूरे विश्व का टीकाकरण नहीं किया जाता है और कमजोर आबादी की रक्षा नहीं की जाती है। तब तक कारखानों और व्यवसायों को हर जगह खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जिसका मतलब है भारत के भी आयात और निर्यात पर तब तक असर पड़ेगा।