आज पूरी दुनिया गुड फ्राइडे (Good Friday) और होली फ्राइडे का त्यौहार मना रही है। यह त्यौहार कैथोलिक्स के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। मान्यता के अनुसार ईसा मसीह के पुनरुत्थान के सम्मान के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता है कहा जाता है कि इस दिन उन्हीं सूली पर चढ़ाया गया था गुड फ्राइडे लेंट के अंत का भी प्रतीक माना जाता है। जिस दौरान स्थाई समुदाय के लोग करीब 40 दिन तक उपवास रखते थे। ईसाई धर्म को मानने वाले लोग आज भी इस दिन उपवास रखते हैं। आज शाम के वक्त अपना उपवास तोड़ते हैं इस दौरान वह मांस का सेवन नहीं करते बल्कि फल, सब्जी, मछली, दूध, अंडा और गेहूं का ही भोजन करते हैं।
इस दिन को गुड फ्राइडे आखिर क्यों कहा जाता है?
अधिकतर लोगों को नहीं पता कि आखिर इस दिन को गुड फ्राइडे क्यों कहा जाता है। क्योंकि लोगों का मानना है कि इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था तो आखिर कैसे इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जा सकता है। लेकिन इसके पीछे कई कारण है जो मानते हैं ईसा मसीह का मरना कोई साधारण घटना नहीं थी।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि असल में इस दिन को गॉड फ्राइडे कहा जाता था लेकिन समय के साथ इसे गुड फ्राइडे कर दिया गया। वही कुछ अन्य अनुयायियों का मानना है कि इस दिन का नाम बिल्कुल सही है क्योंकि यीशु की पीड़ा और उनके अनुयायियों को पाप से बचाने के लिए परमेश्वर ने योजना बनाई थी।
गुड फ्राइडे को क्यों खाई जाती है मछली
ईसाई और कैथोलिक इस दिन मांस का सेवन नहीं करते इतनी जगह वह अपने भोजन में मछली को शामिल करते हैं। इसलिए क्योंकि मछली समुंदर से आती है। ऐसे में उनका मानना है कि यह एक अलग प्रकार का मांस होता है मछली के आकार को भी गुप्त तरीका माना जाता था जिसके जरिए ईसाई की एक दूसरे से पहचान होती थी। और जिस वक्त उनके इस धर्म पर प्रतिबंध लगे थे तब यीशु मसीह को मानने वाले अधिकतर मछुआरे थे।
इसके अलावा प्राचीन काल से ही मांस को एक व्यंजन के रूप में देखा जाता है जबकि मछली एक ऐसी चीज है जो ना केवल आसानी से उपलब्ध होती है बल्कि अधिकांश लोग इसे खरीद पानी में सक्षम है इस दिन मछली सेवन का एक प्रमुख कारण यह भी है कि मछली को ठंडे खून वाला माना जाता है। जबकि मास गर्म खून वाला होता है। जो उपवास के लिए अच्छा नहीं होता।