लखनऊ। कोरोना की लगाम पर नकेल कसने की कवायदें शुरू हो चुकी हैं। अब इसको युद्धस्तर पर शुरू करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की मदद ली जा रही है। डीआरडीओ ने मंजूरी मिलने के बाद अस्थाई अस्पतालों के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है।
राजधानी लखनऊ में डीआरडीओ की टीम लगातार उन जगहों का निरीक्षण कर रही है, जहां अस्थाई कोविड अस्पताल बनाए जाने हैं। इन अस्पतालों में किन तकनीकों का प्रयोग किया जाए, कहां पर किस प्रकार से बेड तैयार किए जाएं, मानकों की पूरी पड़ताल की जा रही है। ताकि किसी भी प्रकार से संक्रमण की दर को कम किया जाए।
डीआरडीओ की टीम ने फैजाबाद रोड स्थित गोल्डेन ब्लॉसम रिजॉर्ट और शहीद पथ स्थित अवध शिल्पग्राम का दौरा किया है। इन दोनों जगहों पर मिलाकर करीब पांच सौ अस्थाई बेड तैयार करने की योजना है। डीआरडीओ की टीम यहां मरीजों की सुविधाओं के साथ साथ मेडिकल स्टॉफ के भी रूकने की व्यवस्थाओं को देख रही है। ताकि उन्हें क्वारंटीन किया जा सके।
जर्मन हैंगर तकनीकी का होगा प्रयोग
डीआरडीओ की टीम जर्मन हैंगर तकनीकी से अस्थाई अस्पताल का निर्माण करेगी। इसके लिए बैंगलोर और दिल्ली से सामाना मंगाए जा रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अस्पताल तैयार करने में जर्मन हैंगर तकनीकी का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इससे न सिर्फ क्वालिटी पूरी होती है बल्कि मरीजों में संक्रमण फैलने का भी खतरा नहीं होता है।
क्या है जर्मन हैंगर तकनीक
जर्मन हैंगर तकनीकी एक पंडाल की तरह होता है। इसको चारों ओर से पैक किया जा सकता है। यह वॉटरप्रूफ होने के साथ-साथ सुरक्षा की भी दृष्टि से काफी मजबूत होता है। इसको कई महीनों तक प्रयोग किया जा सकता है। यह हर मौसम को झेलने में परिपूर्ण होता है।