उत्तराखंड विधानसभा की गंगोत्री सीट काफी महत्वपूर्ण है। यह हम इसलिए कह रहे हैं कि जिस पार्टी का प्रत्याशी गंगोत्री विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बनता है। प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है। यह एक मिथक है जो आज भी बरकरार है यह मिथक 1952 से चला आ रहा है। जब उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। तब यह सीट उत्तरकाशी के नाम से थी जब उत्तराखंड राज्य बना तो उत्तरकाशी में 3 सीटें हुई पुरोला,यमुनोत्री और गंगोत्री, उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए काफी कम वक्त बचा है इसलिए प्रत्येक राजनीतिक पार्टियां इस सीट पर जिताऊ प्रत्याशी ही उतारेगी। ताकि प्रदेश में सरकार बने।
देश की आजादी मिलने के बाद पहला आम चुनाव 1952 में हुआ उस समय यह विधानसभा सीट का नाम उत्तरकाशी था। इस सीट से पहले आम चुनाव में जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय चुनाव जीते और कांग्रेस में शामिल हुए तो उत्तर प्रदेश में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। फिर 1957 में जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्विरोध विधायक बने पुनः कांग्रेस की सरकार बनी। 1958 में विधायक जयेंद्र सिंह बिष्ट की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी से रामचंद्र उनियाल विधायक बने। और पुनः कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी उसके बाद 1960 में टिहरी जनपद से अलग होकर उत्तरकाशी जनपद बना। यह मिथक बरकरार रहा।
उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी कृष्ण सिंह तीन बार विधायक बने और कांग्रेस की सरकार बनी। 1974 में उत्तरकाशी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए घोषित हुई। इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य चुनाव जीते और कांग्रेस की सरकार बनी। 1977 में जनता दल पार्टी के प्रत्याशी बर्फियालाल जुवाठा विधायक बने और प्रदेश में जनता दल पार्टी की सरकार बनी।
1991 में उत्तरकाशी सीट से भाजपा के ज्ञानचंद विधायक बने उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी 1996 में फिर ज्ञानचंद विधायक बने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद उत्तर प्रदेश से अलग होकर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ फिर भी मिथक बरकरार रहा है। उत्तराखंड राज्य में भाजपा की सरकार बनी और नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री बने पहली बार उत्तराखंड 2002 में विधानसभा चुनाव हुए। अब इस विधानसभा सीट का नाम गंगोत्री हुआ और 2002 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी विजयपाल सजवाण गंगोत्री विधानसभा से विधायक बने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
मुख्यमंत्री एनडी तिवारी बने उसके बाद 2007 में गंगोत्री विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी गोपाल रावत चुनाव जीते और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी बने उसके बाद 2012 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी विजय पाल सजवाण गंगोत्री विधानसभा से पुनः विधायक बने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी इसके बाद 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गोपाल रावत पुनः गंगोत्री विधायक बने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बने अब 2022 विधानसभा चुनाव अति निकट है अब देखना होगा की गंगोत्री विधानसभा का यह मिथक बरकरार रहता है कि नहीं