केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गड़करी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा की। और परियोजना से जुड़े सभी अधिकारियों और ठेकेदारों को दिसंबर 2018 तक सभी जल-मल शोधन संयंत्रों (एसटीपी), घाटों और शवदाह गृहों का निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है। समीक्षा बैठक कल नई दिल्ली में हुई।
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बिहार और पश्चिम बंगाल की सरकारें घरों से जल से सीवर निकासी (एचएससी) के लिए लोगों को वित्तीय मदद दे रही है
जल संसाधन मंत्री ने इस मौके पर कहा कि परियोजनाओं का काम आसानी से पूरा करने के लिए अधिकारियों को राज्य सरकार, जिला प्रशासन और नगर-निगम के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार और पश्चिम बंगाल की सरकारें घरों से जल से सीवर निकासी (एचएससी) के लिए लोगों को वित्तीय मदद दे रही है। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे इस संबंध में उत्तराखंड सरकार से बात करें और एचएससी को मुख्य सीवर लाइन से जितनी जल्द हो सके जोड़ें।
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वर्ष 2035 तक उत्तराखंड में कुल 122 एमएलडी सीवरेज निकलने का अनुमान है
उत्तराखंड के लिए मंजूर की गई 31 एसटीपी परियोजनाओं में से 16 का काम पूरा हो चुका है। और बाकी 15 परियोजनाओं का काम प्रगति पर है। वर्ष 2035 तक उत्तराखंड में कुल 122 एमएलडी सीवरेज निकलने का अनुमान है।जबकि राज्य की जल-मल शोधन क्षमता फिलहाल 97.7 एमएलडी है। ऐसे में एसटीपी की जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उनके पूरा हो जाने से राज्य की जल-मल शोधन क्षमता 131.7 एमएलडी हो जाएगी।
शहर की जल-मल शोधन क्षमता में 82 एमएलडी का इजाफ होगा और यह बढ़कर 127 एमएलडी हो जाएगी
हरिद्वार में ऐसी चार परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। इनमें जगजीतपुर और सवई की आईएंडडी परियोजना, जगजीतपुर की एसटीपी परियोजना तथा अरिहंत विहार और कनखल के न्यू विष्णु गार्डन की सीवर नेटवर्क परियोजना शामिल है। हरिद्वार से 74 एमएलडी जल-मल की निकासी होती है, जबकि शहर की सीवरेज शोधन क्षमता केवल 63 एमएलडी है। ऐसे में मौजूदा परियोजनाओं के पूरा हो जाने से शहर की जल-मल शोधन क्षमता में 82 एमएलडी का इजाफ होगा और यह बढ़कर 127 एमएलडी हो जाएगी।
महेश कुमार यदुवंशी