किसी भी शुभ काम में सबसे पहले पूजे जानें वाले गणपति बप्पा आम हो या खास सभी के प्रिय हैं। तभी तो भक्तगण हर साल गणेश चतुर्थी का इंतजार करते हैं।
गणेश महोत्सव 22 अगस्त से शुरू होगा, हर साल बप्पा के आगमन पर जोश औऱ खुशी देखने लायक होती थी, लेकिन कोरोना की वजह से इस साल बप्पा का आगमन भी फिका पड़ गया है। सनातन धर्मा में गणपति का स्थान बेहद खास है उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी पुकारते हैं। यानि की अगर आप गणपति बप्पा की दिल से पूजा करते हैं तो आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।10 दिन चलने वाले इस त्यौहार पर गणपति की स्थापना और उनकी पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।गणेश चतुर्थी पर लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है।
गणेश चतुर्थी का मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहर्त पूर्वाह्न 11 बजकर सात मिनट से दोपहर एक बजकर 42 मिनट तक
दूसरा शाम चार बजकर 23 मिनट से सात बजकर 22 मिनट तक
रात में नौ बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक है।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
गणेश विसर्जन का मुहूर्त
मंगलवार 1 सितंबर 2020
इस समय न देखें चांद – 09:07 AM to 09:26 PM
इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। गणेश चतुर्थी के दिन रात्रि में चंद्रमा के दर्शन न करें. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है। 22 तारीख को रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने से मिथ्या कलंक लग सकता है।
घर में अगर गणेश जी की स्थापना हो रही है तो इस बात का ध्यान रखे की बप्पा की आरती सुबह औऱ शाम दोनों पहर होनी चाहिए। गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें और “ओम् गं गणपतये नमः” मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए।
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भगवान की पूजा करें और लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें। इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें। दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें। प्रसाद में लड्डू का वितरण करें। ऐसे करके आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।