हैमबर्ग। अमेरिका जी20 शिखर सम्मेलन में शनिवार को अलग-थलग पड़ गया। भारत व समूह के 18 अन्य सदस्यों ने पेरिस जलवायु समझौते का समर्थन किया। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मेजबान जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत विश्व के कई शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में भारतीय पक्ष को आतंकवाद को रोकने और वैश्विक व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के संकल्प में महत्वपूर्ण योगदान देते देखा गया। पेरिस समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के फैसले को ध्यान में रखते हुए जी20 की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि अन्य जी20 सदस्यों के नेताओं ने सहमति जताई कि पेरिस समझौते में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रेप ने पद भार संभालने के बाद पेरिस डील से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है। ट्रंप का कहना है कि जलवायु परिवर्तन चीन जैसे देशों का खड़ा किया हुआ है। उनके अनुसार भारत और चीन जैसे देशों को अमेरिका को अरबों डॉवर देने होंगे जो अमेरिका के हित में नहीं हैं। साझा बयान में जी20 देशों ने माना कि अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर आ गया है और वह तत्काल प्रभाव से उन कोशिशो को रोक देगा जो वादे पेरिस डील में किए गए है बयान में ये भी कहा गया कि अमेरिका पूरी दुनिया के देशों को पारम्परिक ईधन ज्यादा प्रभावी तरीके से और साफ सुधरे तरीके से इस्तेमाल करने में मदद करेगा।
साझा किए गए बयान से साफ होता है कि जहां अमेरिका के पक्ष के जगह मिली है वहीं बाकी देशो ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने में एक जुटता दिखाई है। जलवायु परिवर्तन का अगला सम्मेलन जर्मनी के बोन में इसी साल नवंबर में होना है अब देखना है कि क्या यूरोपीय देश अपने संकल्प को पूरा करेंगे।