जानिए क्या है जल्लीकट्टू और उस पर बैन की वजह?
नई दिल्ली। जल्लीकट्टू खेल को लेकर तमिलनाडु में प्रदर्शन का दौर जारी है। इस खेल पर लगे बैन को हटाने के लिए लोग सड़कों पर हाथ में पोस्टर लिए अपनी धार्मिक भावनाओं को आहत होने की गुहार लगा रहे है लेकिन क्या आपको पता है जल्लीकट्टू खेल आखिर है क्या? तो चलिए आपको बताते है इस खेल से जुड़ी अहम जानकारी…
जानिएं आखिर क्या है जल्लीकट्टू खेल:-
-जल्लीकट्टू तमिलनाडु का 400 साल पुराना परंपरागत खेल है।
-इस खेल में बैल को काबू किया जाता है जिसमें विजेताओं को नकद इनाम दिया जाता है।
-खेल शुरु होने से पहले एक-एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है ये बैल गांव के सबसे बूढ़े बैल होते है।
-ये खेल तीन दिन तक चलता है।
-ऐसा कहा जाता है इन बैलों को कोई नहीं पकड़ता क्योंकि ये बैल गांव की शान होते है और उसके बाद खेल शुरु होता है।
-इसमें 300-400 किलो के सांडों की सींगो में सिक्के फंसाकर रखे जाते हैं और फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है ताकि लोग उसे पकड़ सकें।
-पोंगल के खास मौके पर इसका आयोजन होता है।
-इस त्योहार पर मुख्य रुप से बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल के जरिए किसान अपनी जमीन जोतता है। इसी के जरिए बैल दौड़ का आयोजन किया जाता है।
-ऐसा कहा जाता है कि सांड़ों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाई जाती है।
-उनकी आंखों में मिर्च डाला जाता है और पूछों को मरोड़ा जाता है ताकि वे तेज दौड़ सकें।
-इस खेल का मेला तमिलनाडु के मदुरै में लगता है।
-इस त्योहार से पहले गांव के लोग अपने -अपने बैंलो की प्रैक्टिस भी करवाते हैं।
-कहा जाता है कि प्राचीन काल में महिलाएं अपने वर को चुनने के लिए जल्लीकट्टू खेल का सहारा लेती थी।
-जल्लीकट्टू खेल का आयोजन स्वयंवर की तरह होता था और जो भी योद्धा बैल पर काबू कर लेता था उसे महिला अपना वर चुन लेती थी।
-ये खेल बुल फाइट नहीं है। बुलफाइट का खेल स्पेन में खेला जाता है और उसमें बैलों को मारा जाता है लेकिन जल्लीकट्टू में बैल को काबू करने वाले युवक के हाथ में किसी भी तरह का कोई हथियार नहीं होता।
इसलिए लगाया कोर्ट ने प्रतिबंध:-
-साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों के साथ खराब व्यवहार के आधार पर इस पर प्रतिबंध लगाया था।
-तमिलनाडु सरकार ने इस फैसले का जमकर विरोध किया था।
-हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 2014 के आदेश पर पुनर्विचार करने की याचिका को खारिज कर दिया था।
-इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था कि 2009 संवैधानिक रुप से सही नहीं है।
-पिछले वर्ष जनवरी को केंद्र सरकार ने भी एक नोटिस जारी करते हुए कुछ प्रतिबंधों के साथ इस खेल पर से बैन हटाने की मांग की थी।
-जिसके बाद पेटा और कुछ एनजीओ ने इस फैसले के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी।