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किसान संगठन नेताओं और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत शुरू, जानें किसानों ने क्या रखीं अपनी 6 मांग

0a75713d 68cb 4ec6 ac4d 033b8f1fbef3 किसान संगठन नेताओं और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत शुरू, जानें किसानों ने क्या रखीं अपनी 6 मांग

नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में किसानों का उग्र आंदोलन जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए है। इसी बीच सरकार और किसान संगठन के नेताओं के बीच विज्ञान भवन में चौथे दौर की बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में 30 से ज्यादा किसान संगठनों के नेता शामिल हैं। सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार किसानों से लगातार चर्चा कर रही है और मुझे आशा है कि चर्चा के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। चौथे चरण की चर्चा में कोई न कोई पक्ष जरूर निकलेगा। ऐसे में किसानों की ओर से लिखित में सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा गया है। जिनपर वो किसी भी तरह लिखित में गारंटी चाहते हैं।

किसानों को मनाने में जुटी सरकार-

बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 8वें दिन भी जारी है। आंदोलनकारी किसानों ने पांच दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। साथ ही तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने का भी आग्रह किया है। दिल्ली से हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ लगने वाली कई सीमाओं पर किसान पिछले आठ दिनों से धरने पर बैठे हैं। सिंघु बॉर्डर पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं। जबकि कई अन्य समूहों ने टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर पर आवागमन को रोक दिया है। गुरुवार को केंद्र सरकार और किसानों की बातचीत का एक और दौर जारी है। ऐसे में किसानों की ओर से लिखित में सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा गया है, जिनपर वो किसी भी तरह लिखित में गारंटी चाहते हैं। पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की सड़कों पर जारी आंदोलन को खत्म करने को लेकर सरकार लगातार किसानों को मनाने में जुटी है।

• तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाए।
• किसानों के लिए MSP को कानूनी बनाया जाए।
• MSP को फिक्स करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले को लागू किया जाए।
• NCR रीजन में वायु प्रदूषण एक्ट में बदलाव को वापस लिया जाए।
• खेती के लिए डीजल के दामों में 50 फीसदी की कटौती हो।
• देशभर में किसान नेता, कवियों, वकीलों और अन्य एक्टिविस्ट पर जो केस हैं, वो वापस लिए जाएं।

कई राज्यों में आंदोलन, विपक्ष भी हमलावर-

कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन अब पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अब गुजरात के किसान भी कृषि आंदोलन में शामिल हो गए हैं। पिछले एक हफ्ते से दिल्ली-एनसीआर की सड़कों को किसानों ने अपना अस्थाई घर बना लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी किसानों का साथ दिया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि काले कृषि कानूनों को पूर्ण रूप से रद्द करने से कम कुछ भी स्वीकार करना भारत और उसके किसानों के साथ विश्वासघात होगा। राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी भी इस मसले पर सरकार पर हमलावर हैं। बीते दिन यूथ कांग्रेस ने भी कई जगह किसानों के समर्थन में मार्च निकाला। इसके अलावा भीम आर्मी के चंद्रशेखर, रालोद के जयंत चौधरी समेत कई राजनीतिक दलों के नेता लगातार किसानों से मुलाकात कर रहे हैं।

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