आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने किसानों की कर्जमाफी का विरोध किया। राजन ने कहा कि ऐसे फैसलों से राजस्व पर असर पड़ता है। राजन ने कहा कि किसान कर्ज माफी का सबसे बड़ा फायदा सांठगाठ वालों को मिलता है। अकसर इसका लाभ गरीबों को नहीं मिलता है। जिनकी स्थिति बेहतर है उनको ही इसका लाभ मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि जब भी कर्ज माफ किए जाते हैं,तो देश के राजस्व को भी नुकसान होता है।
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आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में किसानों से वादा किया था कि अगर मध्य प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर किया जाएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा है कि वह जल्द ही वादे को पूरा करेंगे।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब किसानों की कर्ज माफी को लेकर विरोध हुआ है।इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था उस दौरान भी विरोध हुआ था। उस दौरान देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तत्कालीन चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर विरोध जताया था। उन्होंने अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी। गौरतलब है कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे। किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे एस.एस.मूंदड़ा भी शामिल थे।
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बीते साल राज्य के 86 लाख किसानों का करीब 30,729 करोड़ कर्ज माफ किया था। राज्य के 7 लाख किसानों का जो लोन एनपीए बन गया है उसको भी माफ कर दिया गया था। याद हो कि महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने 35 लाख किसानों का 1.5 लाख रुपये तक का लोन माफ किया था।
आपको बता दें कि 9 लाख किसानों को लोन के वन टाइम सेटेलमेंट का फायदा दिया गया। पंजाब में कांग्रेस सरकार ने 5 एकड़ तक की खेती की जमीन वाले किसानों को 2 लाख रुपये तक की कर्जमाफी की। कर्नाटक के सहकारी बैंक से लिए गए हर किसान का 50,000 रुपये तक का कर्ज माफ किया गया.