लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बचने के लिए एक नया रास्ता निकाल लिया है। बता दे कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि मुलायम सिंह यादव समेत राज्य के सभी छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने के भीतर सरकारी बंगला खाली करना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि 1997 के जिस नियम के तहत उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को जिंदगी भर के लिए सरकारी बंगला दिया गया है उसका कोई कानूनी आधार नहीं है इसलिए उन्हें सरकारी बंगला छोड़ना होगा।
गौरतलब है कि आज यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी जिसमें फैसला लिया गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला देने के लिए जो नियमावली है उसे विधानसभा से पास कराकर कानूनी रूप दिया जाए। राज्य सरकार को उम्मीद है कि उसके बाद सुप्रीम कोर्ट बंगलों को खाली कराने के अपने आदेश को संशोधित कर सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र 22 अगस्त से शुरू होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले बचाने के लिए विधेयक बनाने का काम शुरू भी हो चुका है और जल्दी ही इसको अंतिम रूप दिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार इसी सत्र में इस विधेयक को पास कराने की कोशिश करेगी।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देने के खिलाफ लोक प्रहरी नाम की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार दो महीनों के भीतर इन सारे सरकारी बंगलों को खाली कराए। फिलहाल मुलायम सिंह के अलावा मायावती, राजनाथ सिंह, रामनरेश यादव, नारायण त्रिपाठी और कल्याण सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर सरकारी बंगला मिला हुआ है।