उत्तराखंड। राज्य को प्रगति और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अथक प्रयास किए जा रहे हैं। आए दिन किसी न किसी विषय को लेकर राज्य को लाभ पहुंचाने वाली योजनाएं सरकार द्वारा लागू की जाती हैं। इसी बीच आज देश के पहले पोलीनेटर (पराग कण) पार्क ने उत्तराखंड में आकार ले लिया है। हल्द्वानी में चार एकड़ में फैले इस पार्क को वन अनुसंधान केंद्र ने विकसित किया है। इसमें मधुमक्खियों से लेकर पक्षियों तक की करीब 40 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। ये पोलीनेटर (परागकण) में सहायक होती हैं। पोलीनेटर पार्क बनकर तैयार हो गया है। इसका मंगलवार को उद्घाटन किया गया। पार्क को तैयार करने में वन विभाग ने देश के ख्यातिप्राप्त तितली विशेषज्ञों की भी मदद ली है। यह देश का पहला पोलीनेटर पार्क है। इसमें 40 तरह के पोलीनेटर्स हैं।
पार्क में जगह-जगह जल कुंड बनाए गए हैं-
बता दें कि वन अनुसंधान केंद्र के मुताबिक, देश में अभी तक कहीं भी परागकण पार्क या बगीचा आदि तैयार नहीं किया गया है। हल्द्वानी के पोलीनेटर पार्क में पूरा वातावरण बनाया गया है, जिसमें मधुमक्खियां, तितलियां, छोटे कीड़े, पौधे, पक्षी आदि परागकणों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाकर वानस्पतिक संतुलन बनाए रखते हैं।
इसके लिए पार्क में जगह-जगह जल कुंड बनाए गए हैं। चिड़ियाओं के घोंसले रखे गए हैं। जामुन, नीम और सेमल प्रजाति के पेड़ लगाए गए हैं और इसके साथ ही इनसे संबंधित जानकारी डिसप्ले बोर्ड व अन्य कलाकृतियों के माध्यम से दी गई हैं। वन अनुसंधान केंद्र को देसी प्रजाति की मधुमक्खियों को तलाशने में सबसे अधिक मेहनत करनी पड़ी। वन अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में यूरोपियन प्रजाति की मधुमक्खियों का पालन बढ़ता चला जा रहा है। इस वजह से देसी प्रजातियों की मधुमक्खियों पर संकट है।
पोलीनेटर पार्क में कई प्रजातियों के फूल लगाए गए-
वन अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक, करीब 95 प्रतिशत फूल वाले पौधे को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए तितली, मधुमक्खी आदि अन्य पोलीनेटर्स की जरूरत होती है। इस तरह से पोलीनेटर न हों और मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर हो, तो भी 1.08 लाख किस्म के पौधे अपना अस्तित्व नहीं बचा पाएंगे। वन अनुसंधान केंद्र के मुताबिक पौधों के पनपने में परागण का विशेष महत्व होता है। मधुमक्खी, तितली और चिड़िया परागण कर जंगल को बढ़ाने का काम करती है। पोलीनेटर पार्क में गेंदा, गुलाब, हरसिंगार, पारिजात समेत अन्य प्रजातियों के फूल लगाए गए हैं।