नई दिल्ली। पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आगाज किया। इस यात्रा पर जाने वाले पहले जत्थे को विदेश मंत्री ने हरी झंड़ी दिखा रवाना किया। इस मौके पर स्वराज ने सभी यात्रियों से मुलाकात की इसके साथ ही इस यात्रा पर जाने के लिए शुभकामनाएं भी दी। रविवार सुबह कैलाश मानसरोवर यात्रियों का पहला जत्था दिल्ली से रवाना हुए। इस बार इस यात्रा में जाने के लिए तकरीबन 4 हजार आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इस वर्ष यह यात्रा 12 जून से 8 सितंबर तक आयोजित की जा रही है।
रविवार की सुबह विदेश मंत्रालय के कार्यलय में सभी यात्रियों से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मुलाकात की । जिसके बाद वहीं से इस जत्थे को यात्रा के लिए रवाना किया। सरकार हर साल इस यात्रा में शामिल होने वालों के पहचान पत्र से लेकर स्वास्थ्य का परीक्षण सहित कई कामों को पूरा कर इन्हें हर साल इस यात्रा के लिए रवाना करती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती है। माना जा है कि इस यात्रा को कर यात्री जब हिमालय की वादियों के बीच स्थित कैलाश पर्वत के दर्शन कर मानसरोवर में स्नान करते हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस यात्रा के दौरान यात्रियों को 19500 फुट की चढ़ाई करनी पड़ती है। इसलिए इस यात्रा के लिए व्यक्ति का स्वास्थ होना बहुत जरूरी होता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा में श्रद्धालु यात्रियों के सामने दो रास्ते होते हैं। एक देवभूमि उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से होकर जाता है। जिसमें 24 घंटे का समय लगता है। तो वहीं दूसरा रास्ता नाथुला दर्रा सिक्किम के रास्ते जाता है। जिसमें 21 दिनों में यात्रा पूरी होती है। चूंकि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में पड़ता है। वर्तमान समय में यहां पर चीन का आधिपत्त है अत: इस यात्रा पर जाने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिए पासपोर्ट के साथ वीजा लेना होता है। इसलिए इस यात्रा की सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की होता है।