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चीन ने नहीं बल्कि फ्रांस ने फैलाया कोरोना, बड़े खुलासे ने हिला दी दुनिया..

corona 2 2 चीन ने नहीं बल्कि फ्रांस ने फैलाया कोरोना, बड़े खुलासे ने हिला दी दुनिया..

करीब 6 महीनों से कोरोना को लेकर चीन खूब आलोचना झेल रहा है। कोरोना को लेकर लगातार चीन के वुहान शहर से खबरें आती रहीं है कि, कोरोना यहाीं से फैला है। यही कारण है कि, चीन और अमेरिका इक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गये क्योंकि कोरोना ने सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में फैलाई है।

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कोरोना के कहर के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमे दावा किया गया है कि, कोरोना चीन से नहीं बल्कि फ्रांस से फैला है।फ्रांस के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की एक टीम ने दावा किया है यूरोप में पहला कोरोना वायरस का केस जनवरी में नहीं आया था। यह उससे भी दो महीने पहले आया था। लेकिन तब उस समय डॉक्टर इस बीमारी और उसके लक्षणों को समझ नहीं पाए थे। अगर ये दावा सच निकला तो हो सकता है कि पूरी दुनिया का ध्यान चीन और वुहान से हटकर फ्रांस की तरफ चला जाए।

फ्रांस के एक अस्पताल ने नवंबर से दिसंबर के बीच अस्पतालों में फ्लू की शिकायत लेकर आए 2,500 से ज्यादा लोगों की एक्स-रे रिपोर्ट का अध्ययन किया है। अध्ययन में चौकांने वाला खुलासा किया गया कि केवल नवंबर में ही दो एक्स-रे रिपोर्ट ऐसी आईं, जिसमें कोरोना की पुष्टि हुई है।

ये बात अलग है कि उस समय डॉक्टर्स को कोरोना वायरस को लेकर कोई जानकारी नहीं थी। उत्तर-पूर्व फ्रांस के कॉलमार में स्थित अल्बर्ट श्वित्जर अस्पताल के डॉक्टर माइकल श्मिट और उनकी टीम ने दावा किया है कि अभी तक यूरोप के जिन देशों में कोरोना के मामले जीरो माने जा रहे थे, वो सारे दावे गलत साबित हो सकते हैं।

फ्रांस के डॉक्टरों की टीम का दावा है कि ऐसा हो सकता है कि चीन में कोरोना का पहला मामला कभी आया ही ना हो क्योंकि यह संक्रमण नवबंर तक यूरोप में दस्तक दे चुका था।
हालांकि फ्रांस में कोरोना के संक्रमित मामले 1,90,000 के करीब हैं और 28,833 लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में कोरोना से संक्रमित देशों में फ्रांस आठवें नंबर पर है।
कोलमार के अल्बर्ट श्वित्जर अस्पताल के डॉ. माइकल श्मिट और उनकी टीम ने दावा किया है कि अभी तक जिन्हें यूरोप के देशों में केस जीरो माना जा रहा है, वो दावे गलत भी साबित हो सकते हैं।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था कि वुहान में कोरोना वायरस का संक्रमण नवंबर में ही फैला था। डॉ. माइकल श्मिट कहते हैं कि सबसे पहले मरीज का पता लगाने के बाद बीमारी के फैलने और उसके प्रभाव का अध्ययन आसानी से हो सकता है। साथ ही वैक्सीन बनाने में भी मदद मिलेगी।

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तमाम कोशिसों के बाद कोरोना की दवाई नहीं बन सकी है। जिसकी वजह से कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। और ऐसा कब तक होता रहेगा पता नहीं।

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