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वित्त मंत्री ने पेश किया साल का पहला बजट, जानें कहां से आता है योजनाओं को पूरा करने के लिए इतना पैसा

WhatsApp Image 2021 02 01 at 4.19.16 PM वित्त मंत्री ने पेश किया साल का पहला बजट, जानें कहां से आता है योजनाओं को पूरा करने के लिए इतना पैसा

नई दिल्ली। जैसा कि सभी जानते हैं आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा साल 2021 का पहला बजट पेश किया गया। जिसके चलते आम लोगों की निगाहें इस पर ही टिकीं हुई हैं। इसके साथ ही बजट में लोगों से जुड़ी कई चीजें होती है। जिनका सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है। इसके साथ ही बता दें कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से बजट को डिजिटल रूप से पेश किया गया है। इसके साथ ही विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए भी बजट आवंटन होता है, जो वे पूरे वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न खर्चों और योजनाओं में इस्तेमाल करते हैं। वित्त वर्ष 2020-21 में स्वीकृत बजट का आकार करीब 30 लाख करोड़ रुपये का था। इसके साथ ही हर किसी के मन में विचार आता है कि सरकार बजट में इतने बड़े-बड़े ऐलान करती है, उनके लिए पैसा कहां से आता है।

ये सरकार की आमदनी का जरिया-

बता दें कि सरकार बजट का ऐलान ऐसे ही नहीं करती है। सरकार के पास बजट में की घोषणाओं को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। जिसका सरकार के पास कई जरिए हैं। जिनके द्वारा सरकार बजट में किए गए ऐलानों को पूरा करती है। टैक्स और राजस्व सरकार की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया होता है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा उधार और अन्य देयताएं से फंड मिलता है, उसके बाद जीएसटी और अन्य टैक्स से पैसा मिलता है। इसके साथ ही उदाहरण के तौर पर एक रुपये की आमदनी में मुख्यतौर पर सरकार के पास इन रास्तों से पैसे आते हैं। उधार और अन्य देयताएं- 20 पैसे, निगम कर- 18 पैसे, इनकम टैक्स- 17 पैसे, सीमा शुल्क- 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क- 7 पैसे, जीएसटी एंव अन्य कर- 18 पैसे, विभिन्न राजस्व से कर- 10 पैसे, कर्ज से इतर कैपिटल इनकम- 6 पैसे के हिसाब से पूरा एक रुपया बनता है।

इन मदों में रमक खर्च करती है सरकार-

इसके साथ ही अब सरकार द्वारा इस रकम को अपने हिसाब से अलग-अलग लोककल्याण योजनाओं से लेकर दूसरे मदों पर खर्च करती है। जिसके चलते सरकार ब्याज अदायगी- 18 पैसे, केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएं- 13 पैसे, वित्त आयोग और अन्य अंतरण- 10 पैसे, करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा- 20 पैसे, केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं- 9 पैसे, आर्थिक सहायता- 6 पैसे, रक्षा- 8 पैसे, पेंशन- 6 पैसे, अन्य व्यय- 10 पैसे खर्च करती है। जो पूरा मिलाकर एक पूरा बनता है।

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