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आज मनाई जा रही है विहार पंचमी, जानें कैसे वृंदावन में हुए थे श्री कृष्ण जी प्रकट

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आज यानि 19 दिसंबर 2020 को विहार पंचमी मनाई जा रही है. विहार पंचमी के दिन सैकड़ों भक्त श्री कृष्ण के प्राकट्योत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है. इसी दिन स्वामी श्री हरिदास जी निधिवन से चांदी के डोले में बैठ कर ठाकुर जी को बधाई देने आएंगे. विहार पंचमी के दिन ठाकुरजी को हलवे का भोग लगाया जाता है. इसके साथ ही श्रद्धालु इस दिन को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं.

1562 से मनाया जा रहा है ये उत्सव
वृंदावन में श्री बिहारी जी के प्राकट्य का ये उत्सव 1562 से ही वृन्दावन वासियों के द्वारा अत्यन्त उत्सव पूर्वक मनाया जाता रहा है. श्री बिहारी जी महाराज के निधिवन से वर्तमान स्थान पर आकर विराजमान होने के साथ ही श्री बिहार-पंचमी के दिन स्वामी हरिदास जी महाराज की साधना-स्थली निधिवन से बधाई आने की परंपरा आरंभ हुई जो आज भी प्रचलित है.

कैसे मनाया जाता है ये उत्सव
1962 ईस्वी में श्री बांके बिहारी जी के प्राकट्य उत्सव की बधाई देने के लिए श्री बिहारी जी के मंदिर तक स्वामी हरिदास जी महाराज की सवारी अत्यन्त धूमधाम के साथ आने लगी. इस सवारी में स्वामी हरिदास जी महाराज एक भव्य रथ में विराजमान होते हैं और उनके साथ एक डोले में उनके अनुज और श्री बांके बिहारी जी महाराज के सेवाधिकारी गोस्वामी श्री जगन्नाथ जी और दूसरे डोले में स्वामी श्री बीठल बिपुल जी विराजमान होकर श्री बांके बिहारी जी महाराज के मंदिर पधारते हैं. इस सवारी के मंदिर पहुंचने के बाद ही आज श्री बिहारी जी महाराज इन सबके साथ राजभोग ग्रहण करते हैं. ये उत्सव श्री बिहारी जी महाराज के भक्तों के लिए प्रतिवर्ष अत्यन्त उत्साह और उमंग का अवसर लेकर आता है ओर धूमधाम से मनाया जाता है.

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दुल्हन की तरह सजा बांके बिहारी मंदिर
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बांके बिहारी के दर्शन

ऐसे हुए थे श्री कृष्ण जी प्रकट
एक दिन हरिदास की महाराज पदगायन कर रहे थे. उनके सामने कई भक्तजन भी बैठे थे. इसी दौरान सभी भक्तों ने कहा कि उन्हें भी बांके बिहारी और राधा रानी के दर्शन करने हैं. हरिदास महाराज ने सोचा के इन्हें भी दर्शन तो मिलने चाहिये. उसके बाद हरिदास जी महाराज पदगायन करते रहे और उनके पदगायन में इतनी शक्ति थी और भक्ति इतनी सच्ची थी के बांके बिहारी और राधा रानी को खुद प्रकट होना पड़ा. भगवान को देखकर हरिदास जी बहुत प्रसन्न हुए.

फिर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी ने इच्छा जताई कि वो हरिदास जी का पदगायन सुनना चाहते हैं और उनके पास ही रहना चाहते हैं. हरिदास जी ने कहा कि मैं श्री कृष्ण जी को तो अपने पास रख सकता हूं लेकिन राधा रानी को अपने पास कैसे रखूं उनके लिये मेरे पास अलग-अलग वस्त्र और आभूषण नहीं हैं. ये बात सुनने के बाद राधा रानी श्री कृष्ण जी में ही समा जाती हैं और दोनों एक ही हो जाते हैं. दोने एक ही विग्रह में समा जाते हैं. आज के दिन ही वो समाने थे इसलिये आज के दिन ही विहार पंचमी मनाई जाती है आज के दिन ही बिहारी जी के प्राकट्य का उत्सव मनाया जाता है.

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श्री राहुल गोसाई, सेवा अधिकारी, बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन

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