एक तरफ कोरोना तो दूसरी तरफ टिड्डी का कहर लगातार देश के साथ बढ़ता ही जा रहा है। किसानों की फसल पर खतरा मंडरा रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास भी कर रही है। और देश के कई इलाकों के हाई अलर्ट जारी किया हुआ है। लेकिन इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ की एक चेतावनी ने भारतीय किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
युक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन ने चेतावनी दी है, जिसके बाद केंद्र द्वारा 16 राज्यों को अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें सबसे अधिक प्रभावित राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
FAO ने कहा कि मानसून से पहले मई में दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान से राजस्थान के लिए टिड्डी झुंड आए और 1962 के बाद पहली बार कुछ झुंडों ने उत्तरी राज्यों की ओर बढ़े।
राजस्थान के रेगिस्तान में मॉनसून की शुरुआत के साथ अंडे देने से पहले पूर्व और पश्चिम की ओर झुंड घूमेंगे। इनकी लहरें जून में दक्षिणी ईरान और जुलाई में ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ प्रायद्वीप से मिलेंगी।विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल अप्रैल में पाकिस्तान से भारत आए। मौजूदा झुंड भी ‘हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका’ से आया था।
एफएओ ने कहा कि उत्तर-पूर्व सोमालिया तक पहुंचने वाले झुंड के उत्तरी हिंद महासागर में भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में जाने की संभावना है। सोमालिया और इथियोपिया में ऐसी ही स्थिति चल रही है।
नए स्वार्म्स मध्य-जून के बाद केन्या से इथियोपिया और उत्तर सूडान से दक्षिण सूडान की ओर जाएंगे। टिड्डियां एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती हैं और एक वर्ग-किलोमीटर का झुंड 35,000 लोगों के जितना भोजन खा सकता है।
https://www.bharatkhabar.com/corona-vaccine-being-made-in-india-know-when-and-how-it-will-work/
यही कारण है कि, किसान बेहद सहमें हुए हैं। अगर मानसून के महीनें में टिड्डी का कहर भारतीय किसानों पर पड़ता है तो आने वाले समय में बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।