न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया में पानी की कमी को लेकर साल 2018 की भयवह तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के चलते दुनिया के अरबों लोगों के सामने पानी का संकट खड़ा हो गया है। सयुंक्त राष्ट्र की ओर से जारी विश्व जल विकास रिपोर्ट 2018 पेश करते हुए ये बात कही। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 3.6 अरब लोग यानी की विश्व की आधी आबादी पानी के संकट से जूझ रही है, जो की हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी को तरस जाती है। बता दें कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस है, जिसको देखते हुए ये रिपोर्ट पेश की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक पानी की किल्लत झेल रहे लोगों की संख्या 2050 तक 5.7 अरब तक पहुंच जाएगी। इस रिपोर्ट को लेकर यूनेस्को की महानिदेशक आद्रे अजोले ने कहा कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो साल 2050 तक पांच अरब से ज्यादा लोग ऐसे क्षेत्र के दायरे में आ जाएंगे, जहां पानी की आपूर्ति काफी खराब हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक पिछली एक सदी में पानी की खपत छह गुना बढ़ी है। वहीं हर साल एक प्रतिशत पानी का इस्तेमाल बढ़ जाती है। जाहिर तौर पर जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास, उपभोग के तरीके में बदलाव से जरूरत ज्यादा बढ़ जाएगी। विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में ये मांग ज्यादा होगी।
जलवायु परिवर्तन से पानी के वैश्विक चक्र पर भी असर पड़ेगा। इससे बारिश वाले इलाकों में ज्यादा पानी बरसेगा व सूखाग्रस्त इलाकों में और सूखा पड़ेगा। जलाशय, नहर, ट्रीटमेंट प्लांट इस नई चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। ज्यादा कीमत, जगह न मिलने, गाद की समस्या और पाबंदियों के चलते नए जलाशय का निर्माण भी मुश्किल है। सुझाव दिया गया है कि पानी के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रकृति आधारिक उपायों पर जोर देना चाहिए। जैसे पानी संग्रहण, भूमि की नमी बढ़ाने, झीलों और भूजल स्तर बढ़ाने संबंधी प्रयासों पर जोर देना चाहिए। बांध बनाने की अपेक्षा यह बेहतर विकल्प है।