नई दिल्ली। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद राजनेता और सरकार ने इसका स्वागत किया है। जहां एक तरफ सब इस टिप्पणी का स्वागत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने इस पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि वो कोर्ट के सुझाव का स्वागत तो करते हैं लेकिन कोर्ट के बाहर मसले को सुलझाने में विश्वास नहीं रखते हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान आगे बोलते हुए कहा कि इस मसले को सुलझाने के लिए कोर्ट के मध्यस्थता जरूरी है लेकिन परिसर के बाहर नहीं अंदर चर्चा होगी। उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले पर पहले भी कोर्ट के बाहर कई सारी मीटिंग हो चुकी है मगर नतीजा क्या निकला है ये सबको पता है।
सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता की सूरत में यह पूरी तरह कानूनी होगा और कोई आउट ऑफ कोर्ट नहीं होगा. इससे पहले भी आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट की कई कोशिशें हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में प्राइवेट पार्टी के साथ अदालत के बाहर बैठकर कोई हल नहीं निकल सकता
स्वामी ने किया स्वागत
भाजपा नेता व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर से अयोध्या के राम जन्मभूमि पर जल्द राम मन्दिर बनाने की बात कहते हुए कहा है कि जहां भगवान श्री राम का जन्म हुआ है उस जगह को नहीं बदला जा सकता है लेकिन नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। सऊदी अरब का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कई देशों में बिल्डिंग बनाने के लिए मस्जिद हटाए जाते हैं। मुसलमान कहीं पर भी नमाज पढ़ सकते हैं। लिहाजा मुस्लिम समुदाय इस रचनात्मक सुझाव को माने, तो अच्छा होगा। उन्होंने मामले में मध्यस्था के लिए एक न्यायाधीश की नियुक्त करने की भी मांग की। उन्होंने इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर मुद्दे पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
ओवैसी ने किया ट्विट
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया,”मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट अवमानना याचिका पर भी फैसला सुनाएगा, जो 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के समय से लंबित है।”
Waiting to hear about whether conspiracy charges will be held against Advani,Joshi,Uma Bharati in Babri demolition case since ……..1992
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 21, 2017