जहां एक तरफ कोरोना की मार झेलते लोगों को जान बचाने के लाले पड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ यूपी में किसानों पर आफत टूट गई है।
हर मौसम की मार झेलकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान की इस बुरे वक्त में मदद होनी चाहुए थी। वहीं इन किसानों पर कर्जा वसूली की तलवार लटका दी गई है।
आपको बता दें, यूपी में जिला सहकारी बैंक सचिव एवं सहायक निबंधक सहकारिता ने अपनी समिति के सचिवों को ऋण वसूली के आदेश जारी कर दिए हैं।
यही नहीं वसूली लक्ष्य के अनुरूप न होने पर समितियों के प्रबंध निदेशकों को कार्रवाई के लिए चेताया है।आदेश में कहा गया है कि समितियों के स्तर पर बकाया एवं चालू मांग के अनुरूप 30 जून तक वसूली अभियान चलाया जाएगा।
जिसमें समितियों के सचिव एवं जिला सहकारी बैंकों के शाखा प्रबंधक भी लगेंगे और शत प्रतिशत वसूली सुनिश्चित कराएंगे।
हालांकि, आदेश में यह भी कहा गया है कि वसूली को लेकर किसानों पर किसी भी तरह का दबाव न बनाया जाए और सिर्फ तकाजा स्वरूप में ऋण जमा करने के लिए प्रेरित किया जाए।
इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का शत-प्रतिशत पालन किया जाए। बड़े बकाएदारों की सूची सार्वजनिक स्थानों पर लगाई जाए। ताकि वह ऋण का भुगतान करें।
जिला सहकारी बैंक के सचिव एवं सहायक निबंधक सहकारिता की ओर से जारी संयुक्त आदेश के अनुरूप बैंक और समिति के कर्मचारी टीम बनाकर गांव-गांव जाएंगे और इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को देंगे।
उन्होंने समिति के सचिवों को चेताया है कि यदि मांग के अनुरूप ऋण की वसूली नहीं हुई तो कार्रवाई की जाएगी।
इस खबर के बाहर आने से अब सवाल उठने लगे हैं कि, जहां एक तरफ केन्द्र सरकार किसानों के लिए बड़े-बड़े एलान कर रही है।
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ऐसे में इन किसानों से कर्जा वसूली करना वाकई में शर्मनाक है। इस वक्त देश के गरीब तबके के लोगों को मदद की जरूर है। ऐसे में इन किसानों से कर्जा वसूली करना इन नई आफत जैसा है।